
जल संसाधन विभाग ने रंगई घाट के पास 2.5 मीटर ऊंचा और 150 मीटर चौड़ा बैराज बनाया था। इसके बाद भी बेतवा में रंगई घाट से लेकर रायसेन जिले की सीमा तक बेतवा नदी में 50 किमी तक एक बूंद पानी नहीं बचा है। नपा ने 8 साल पहले रंगई घाट तक गहरीकरण भी कराया था।
अब रंगई, भोरघाट, नए बायपास पुल से लेकर रायसेन जिले की सीमा तक नदी का अंतस्तल किसी खेल मैदान की तरह दिखाई देने लगा है। वैसे तो नदी की धारा अक्टूबर-नवंबर में ही टूट गई थी लेकिन हलाली का बैक वाटर आने के कारण कुछ पानी बेतवा में आ गया था। अब वह पानी भी सूख चुका है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण, बारिश की कमी, जल स्रोतों के सूखने और सहायक नदियों के सूखने से बेतवा में साल दर साल पानी की कमी होती गई।
पानी बचाने के लिए गहरीकरण किया
- 590 किमी लंबा प्रवाह है , मंडीदीप स्थित झिरी कुमारा गांव से निकलती है।
- 150 से अधिक गांव के साथ विदिशा, बासौदा, कुरवाई में जल सप्लाई इसी से होती है।
- 25 साल पहले बेतवा विदिशा की सदानीर नदी थी, लेकिन अब बारिश बाद उसकी धार टूट जाती है।
- 8 साल पहले रंगई घाट तक गहरीकरण कराया।