Wednesday, September 24

कला के आगे कोरोना बेअसर:म्यूजिक इंडस्ट्री में भी ‘वर्क फ्रॉम होम’, म्यूजिक डायरेक्टर्स घर से ही बना रहे धुन, सिंगर्स भी घर में ही गाना रिकॉर्ड कर रहे

प्लेबैक सिंगिंग से भी ज्यादा कमाई देने वाले लाइव शो बंद, अब ऑनलाइन शो और रिमोट वर्क ही सहारा

कोरोना की पहली लहर ने पिछले साल बॉलीवुड की पूरी अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया था। म्यूजिक इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं रही। स्टेज शो और लाइव कंसर्ट तो लगभग बंद ही हो गए और इससे होने वाली आमदनी भी। गायक, संगीतकार और इनके साथ काम करने वाले इंस्ट्रूमेंट प्लेयर्स और कंपोजर्स की पूरी जमात इससे काफी प्रभावित हुई, लेकिन पहली लहर बड़ा सबक भी दे गई। अब जबकि देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है और हालात पिछले साल से ज्यादा खराब हैं, तो ऐसे में कई सिंगर्स ने अपने घर में ही छोटा म्यूजिक स्टूडियो डेवलप कर लिया है। वे घर में ही गाना रिकॉर्ड करके कंपोजर या अरेंजर को भेज देते हैं। म्यूजिक डायरेक्टर्स भी अपनी धुनें ऑनलाइन ही भेज रहे हैं। इस तरह म्यूजिक इंडस्ट्री में भी ‘वर्क फ्रॉम होम’ की धुन बज रही है। संगीत बनाने से लेकर सिखाने तक के काम इन दिनों ऑनलाइन ही हो रहे हैं।

डिजिटल ऑडियो वर्कस्टेशन पर हो रहा है म्यूजिक का काम
म्यूजिशियंस ने बताया कि म्यूजिक सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम एकदम नया कॉन्सेप्ट है। इसमें म्यूजिशियंस ने भी खुद को टेक्नोलॉजी के साथ अपग्रेड किया। पहले राइटिंग नोटेशन पेपर पर होती थी। फिर ऑनलाइन सॉफ्टवेयर पर होने लगी। पहले टेप पर साउंड रिकॉर्ड होता था। अब सॉफ्टवेयर पर रिकॉर्ड होता है। अब साउंड और म्यूजिक की एक साथ मेकिंग के लिए सॉफ्टवेयर आया है। जिसमें म्यूजिक और साउंड दोनों का काम एक साथ हो रहा है। इन सॉफ्टवेयर को कहते हैं ‘DAW’ ‘डिजिटल ऑडियो वर्कस्टेशन’। आज 99 परसेंट म्यूजिक का काम इसी पर हो रहा है। सिंगर्स अपने घर के स्टूडियो में डमी ट्रैक या वोकल ‘लॉजिक प्रो’ सॉफ्टवेयर पर रिकॉर्ड करते हैं। कंडेसर माइक पर स्टूडियो क्वालिटी की तरह रिकॉर्ड करके कंपोजर और अरेंजर को भेज देते हैं। इससे उनके लिए लॉकडाउन में अपने घर से ही काम करना आसान हो गया है।
ऑनलाइन से रीच भी ग्लोबल हुई : हरीश मोयल
इंडियन आइडल सीजन-1 के टॉप फाइनलिस्ट, प्लेबैक सिंगर और स्टेज परफॉर्मर हरीश मोयल ने बताया, ‘मैंने लास्ट ईयर कुछ ऑनलाइन कॉन्सर्ट किए। मोटिवेशनल और स्पिरिचुअल सॉन्ग्स तैयार किए, क्योंकि चारों तरफ निराशा का माहौल था। मैंने सोचा कि अपने म्यूजिक के जरिए लोगों को पॉजिटिव रखें। अपना स्टूडियो भी घर में सेटअप किया। जहां मेरी बेटी नित्या और बेटा देव भी साथ में परफॉर्म करते थे। कई सारे गाने भी रिकॉर्ड किए। घर में ही रहने से काफी संगीत सुनने का भी टाइम मिला। एक तरह से कहूं तो वर्क फ्रॉम होम म्यूजिशियन के लिए नए रास्ते खोलने वाला था। ऑनलाइन से रीच भी ग्लोबल हुई। नए दोस्त बने। सोशल मीडिया पर भी हम एक्टिव हुए। यूट्यूब चैनल भी एक्टिव किया। फॉलोअर्स भी बढ़े। एक तरह से कहें तो हमने आपदा में अवसर ढूंढ लिया।’
प्लेबैक सिंगिंग के मुकाबले लाइव शोज से ज्यादा कमाई : क्षितिज तारे
जॉन डे, रागिनी एमएमएस-2, मर्डर 2 जैसी फिल्मों के पॉपुलर गीतों को आवाज देने वाले प्लेबैक सिंगर और कंपोजर क्षितिज तारे ने बताया कि हम प्लेबैक से भी ज्यादा लाइव स्टेज शो से कमाते हैं। लाइव शो से अलग-अलग शहरों और देशों में फैन फॉलोइंग भी बढ़ती है। लॉकडाउन में लाइव शोज बंद हो गए। कॉन्सर्ट नहीं कर पा रहे थे। लास्ट शो मैंने दिसंबर 2019 में किया था, लेकिन फिर सब बंद हो गया तो मैं अपने शहर कोटा चला गया। जहां घर में ही अपना स्टूडियो डेवलप किया। खुद को टेक्नोलॉजी के साथ अपग्रेड किया और घर के स्टूडियो से ही बैकग्राउंड स्कोर किया। मैं गाने के साथ-साथ म्यूजिक भी अरेंज करता हूं, टेक्नोलॉजी से फायदा यह है कि सभी म्यूजिशियन ने अपने स्टूडियो डेवलप कर लिए हैं। हम अपना पीस भेज देते हैं, गाना गा कर या इंस्ट्रूमेंट प्लेयर पर अपना म्यूजिक पीस रिकॉर्ड करके। जैसे, मैंने यूएस के आर्टिस्ट से कहा तो उसने पियानो का पीस बनाकर भेज दिया। अब मैं उसे यहां एडिट कर रहा हूं। टेक्नोलॉजी ने हमारी दुनिया ही बदल दी है।

डिजिटल स्पेस में काम करने का नया एक्सपीरियंस : अभय जोधपुरकर
मणिरत्नम की तमिल फिल्म कडल, शाहरुख खान की फिल्म जीरो, पानीपत में प्लेबैक करने वाले सिंगर और परफॉर्मर अभय जोधपुरकर ने बताया कि लास्ट ईयर भी हम आर्टिस्ट्स के लिए काफी टफ था। इस साल उम्मीद थी कि कॉन्सर्ट करेंगे, लेकिन काफी बुक्ड शो कैंसिल हो गए। अब पता नहीं कब तक सारी चीजें नॉर्मल होंगी। लॉकडाउन में मैंने अपने घर में स्टूडियो सेटअप किया। जहां गाने रिकॉर्ड किए। डिजिटल स्पेस में काम करने का नया एक्सपीरियंस था। लॉकडाउन के समय मैंने इंदौर में रिकॉर्डिंग की। ऐ मेरे दिल इंडिपेंडेंट सॉन्ग इंदौर में रिकॉर्ड किया। मराठी फिल्म बाबा का गाना भी लॉकडाउन में रिकॉर्ड किया। मैंने लॉकडाउन में ऑनलाइन शोज भी किए। उन आर्टिस्ट की हालत खराब हो गई जो डेली वेजेस वाले थे, इंस्ट्रूमेंट बजाते थे या जो केवल लाइव कॉन्सर्ट ही करते थे। उनके सपोर्ट के लिए भी सब सीनियर आर्टिस्ट ने मिलकर काम किया। इसके बाद सभी ने अपने-अपने लेवल पर घर में सेटअप डाल लिया। जिसमें जिंगल बनाना, सिंगल सॉन्ग रिकॉर्ड करने का काम शुरू कर दिया। हम भी अब वर्क फ्रॉम होम एंजाय कर रहे हैं।

लॉकडाउन में यूट्यूब एक बड़ा प्लेटफॉर्म बना
स्टेज परफॉर्मर और प्लेबैक सिंगर्स ने बताया कि यूट्यूब म्यूजिशियंस के लिए दूसरा बड़ा ऑप्शन बनकर उभरा है। इससे वे न केवल ग्लोबल लेवल पर अपना टैलेंट दिखा पा रहे हैं बल्कि इससे कमाई भी कर रहे हैं। इसका फंडा ये है कि आपको सबसे पहले अपने चैनल पर Monetization On कराना होगा जिसके लिए आपके यूट्यूब चैनल पर 1 हज़ार Subscribers और 4 हज़ार Hours का Watch-Time होना बहुत जरूरी है। इसके बाद आपको 100 डॉलर मिलेंगे। उसके बाद आपके वीडियोज पर कितने व्यूज आ रहे हैं और वॉच टाइम कितना है। उस पर कितने एड आ रहे हैं। उसके अनुसार प्रति वीडियो या चैनल को पैसे मिलते हैं। उसके अलग-अलग पैरामीटर्स हैं। कोशिश ये होनी चाहिए कि कंटेंट आपका ओरिजनल हो, धुन, सॉन्ग और कंपोजिशंस नई हो। इससे आप पर कॉपीराइट का खतरा नहीं होगा। अगर आप दूसरे सिंगर्स या कंपनी के गाने गाते हैं तो आपको नोटिस भी मिलता है और आपका चैनल बंद भी हो सकता है। इसलिए अपनी ओरिजनल कंपोजिशन ही अपलोड करें।