
एनएचएआई को मिला प्रोजेक्ट, फिजिबिलिटी सर्वे शुरू
सागर और भोपाल के बीच भारत माला परियोजना के अंतर्गत फोरलेन सड़क बनेगी। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने इसको मंजूरी दी है। एनएचएआई के अधिकारियों ने इसके लिए मिट्टी का परीक्षण शुरू कर दिया है। इस रोड पर ट्रैफिक को लेकर फिजिबिलिटी सर्वे भी शुरू हो गया है। इसमें 24 घंटे में निकलने वाले वाहनों की संख्या का परीक्षण किया जा रहा है। अभी भोपाल से सागर तक टू लेन सड़क है।
इसके समानांतर ही एक ऐसी ही फोरलेन सड़क बनाई जाएगी। ये रोड देवास-कानपुर हाईवे के तहत सागर और भोपाल के बीच बनाई जाना है। इससे यह मार्ग देवास में आगरा-बांबे रोड यानी एबी रोड से लेकर कानपुर में ग्रांड ट्रंक रोड यानी जीटी रोड तक जुड़ जाएगा।
इसके तहत विदिशा से सागर और भोपाल की तरफ जाने के लिए आसानी होगी। वाहन चालकों का 30 मिनट तक का समय बचेगा। इस फोरलेन की लंबाई करीब 167 किमी होगी। चौड़ाई 20 मीटर से अधिक हो जाएगी। निर्माण कार्य की लागत करीब 835 करोड़ रुपए होगी। सागर, राहतगढ़, विदिशा, सांची, सलामतपुर होते हुए भोपाल की दूरी करीब 167 किमी है। इतनी ही दूरी फोरलेन की होगी।
विदिशा से सांची-सलामतपुर होते हुए भोपाल से जुड़ेगा
विदिशा को भोपाल से जोड़ने के लिए फोरलेन सड़क का निर्माण आने वाले समय में शुरू होगा। यह सागर से वाया राहतगढ़, विदिशा, सांची, सलामतपुर से होते हुए भोपाल को जोड़ेगा। एनएचएआई (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने तकनीकी सर्वे भी शुरू कर दिया है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेस- वे से भी जोड़ा जाएगा फोरलेन
सागर-भोपाल के सर्वे को लेकर एजेंसी नियुक्त कर दी गई है और इसे करीब 11 माह का समय दिया गया है। इसमें करीब 6 माह तो बीत चुके हैं। अगले 6 माह में पूरी रिपोर्ट भी तैयार हो जाएगी। यह सड़क भी सागर से निकले जबलपुर-कानपुर बुंदेलखंड एक्सप्रेस फोरलेन-वे एनएच-44 की तरह ही तैयार की जाएगी।
क्या है भारत माला परियोजना
इसमें करीब 14 प्रदेशों को शामिल किया गया है। 24800 किमी से ज्यादा सड़कों का जाल 2022 तक बिछाया जाएगा।
कनेक्टिविटी बढ़ने से एकोनामिक ग्रोथ बढ़ेगी
लोगों की कनेक्टिविटी बढ़ने के साथ एकोनामिक ग्रोथ में बढ़ोतरी होगी। कार्गो की तरह वाहनों की स्पीड भी 20 से 25 फीसदी तक बढ़ जाएगी। हाइवे से अभी देश के 300 जिले कनेक्ट हैं लेकिन 550 जिले कनेक्ट हो जाएंगे।
फिजिबिलिटी सर्वे: पीसीयू का होता है परीक्षण लोनिव विदिशा के पूर्व ईई और वर्तमान में भोपाल के एसई योगेंद्र सिंह ने बताया कि फिजिबिलिटी सर्वे में पैसेंजर कार यूनिट का परीक्षण होता है। इसमें देखा जाता है कि 24 घंटे में 10 हजार तक का आवागमन हो रहा कि नहीं।
नए सिरे से बनेगी डीपीआर, सर्वे से देखेंगे ट्रैफिक घनत्व ^भोपाल-सागर फोरलेन के लिए पहले डीपीआर बनी थी। अब इसमें फिर से फिजिबिलिटी सर्वे के जरिए ट्रैफिक घनत्व देखा जाएगा। इसके बाद नए सिरे से डीपीआर बनानी पड़ेगी। एनएचएआई ही इस परियोजना को पूरा करेगा।-सुनील शर्मा, प्रोजेक्टर डायरेक्टर, एनएचएआई सागर।