Sunday, October 19

अटल जयंती कल:भारत रत्न वाजपेयी जी की कांसा-तांबे की प्रतिमा 12 फीट ऊंची, 1300 किलो वजनी; 17 लाख की लागत से 3 माह में तैयार, भोपाल में कल होगी स्थापित

तीन बार PM रहे अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त, 2018 को निधन हो गया था

25 दिसंबर यानी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे लोकप्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी की 12 फीट ऊंची व तांबा-कांसे से बनी 1300 किलो वजनी प्रतिमा शौर्य स्मारक के पास शुक्रवार को स्थापित की जाएगी। इसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं। 17 लाख रुपए से बनाई गई इस प्रतिमा की फोटो पहली बार भास्कर में प्रकाशित हो रही है।

इस खास प्रतिमा को बनाने वाले ग्वालियर के प्रभात राय ने दैनिक भास्कर को बताया की इस प्रतिमा को बनाने में 3 महीने का वक्त लगा। करीब 1300 किलो वजन की कांसे और तांबे से बनी प्रतिमा को भोपाल में स्थापित किया जा रहा है। इसे तैयार करने में करीब 17 लाख रुपए का खर्च आया है।

प्रतिमा में क्या खास है?
कलाकार प्रभात राय बताते हैं कि अटल जी की परफेक्ट पिक्चर वह है, जिसमें वो धोती और फुल आस्तीन का कुर्ते, जिसमें कलाइयों में बटन लगी हो और बंद गले का जैकेट पहने हों। बस इसी थीम पर हमने प्रतिमा को तैयार किया। मालूम रहे कि 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में जन्में वाजपेयी का 16 अगस्त, 2018 को निधन हो गया था। उन्होंने 1998 से 2004 के बीच तीन बार देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।

2003 में भेंट किया था मिनिएचर
फ्लैशबैक में जाते हुए प्रभात राय ने बताया की जब अटल जी 2003 में प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने पहली बार अटल जी का एक मिनिएचर बनाया था और इसे भेंट करने पीएम हाउस दिल्ली गए थे। अटल जी ने प्रभात राय की उस वक्त की काफी तारीफ की थी और फोटो भी खिंचवाया था। इससे पहले सन् 1987 में मुरैना में क्रांतिकारी भगत सिंह की एक मूर्ति का अनावरण भी अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों हुआ था। यही वो पहला दिन था, जब मैं अटल जी के संपर्क में आया था।

नगर निगम भोपाल से मिला प्रोजेक्ट

तब से लेकर अब तक प्रभात राय ने अटल जी की तमाम मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें ग्वालियर की विशाल प्रतिमा भी शामिल है। प्रभात राय को यह प्रोजेक्ट नगर निगम भोपाल की तरफ से दिया गया था। इसे व्यवस्थित तरीके से स्थापित करने और तैयारियां का जायजा लेने के लिए CM शिवराज सिंह चौहान और पूर्व महापौर आलोक शर्मा ने बुधवार को शौर्य स्मारक के आसपास उस स्थान का मौका मुआयना किया था और तैयारियों को जल्द ही अंतिम रूप देने के निर्देश दिए थे।