पूरा विश्व असमंजस की स्थिति में है किसी को भी कहीं से आशा की किरण दिखाई नहीं दे रही विश्व के सारे देश एक दूसरे पर निगाह टिकाए हुये है ।कोरोना की वैक्सीन के लिए ऐसें में भारत की ओर से एक आशा की किरण निकल कर आई है पर सदियों से गुलामी की मानसिकता पाले देश को आत्मनिर्भरता कहां पसंद है।

हम बात कर रहे है बाबा रामदेव जिसने स्वदेशी का एक बढा बाजार खाडा कर दिया योग को पूरी दुनिया मे सम्मान दिलवाया आयुर्वेद को पुनः गौरव दिलवाया ओर अव इस संकट की घडी में कोरोना से निजात दिलाने पूरी प्रमाणिक्ता के साथ आयुर्वेदिक दवा लाकर दवा माफियाओं को बैचेन कर दिया। जो काम देश की सरकार को करना चाहिए था वो काम एक बाबा को करना पढ रहा है।उसमें भी अडंगेबाजी ने सोचने पर मजबूर कर दिया है।
एक ओर देश के प्रधानमंत्री जी आत्मनिर्भर बनने की बात कर रहे है तो दूसरी ओर उन्हीं की सरकार के मंत्रालय अडंगेबाजी करने से बाज नहीं आ रहे ।ऐसे में कोई आत्मनिर्भरता की ओर कैसे बढेगा ।