Wednesday, September 24

विदेशों मे भारत की छवि खराब करते देशी गद्दार।

इस समय जव देश कोरोना से लडने के लिए अपने सारे संसाधन लगा कर देश के नागरिकों की जान बचाने मे लगा हे ,वहीं देश के ही कुछ लोग भारत की छवि खराब करने मे लगे हे,ये लोग पढेलिखे हे इसमे से कुछ बुद्दिजीवी हे तो कुछ पत्रकार हे ,कुछ नेता हे तो कुछ समाजसेवी, ओर अभिनेता भी हें ।

भारत की छवि खराब करने बाले ये लोग किसी गद्दार से कम नही हे ,भारत इस आपदा से लड रहा हे जिसमे भारत ने अपना सबकुछ दाब पर लगा दिया हे,एक युद्ध की तरह क्योंकि युद्ध अव एक मोर्चे पर नहीं लडे जाते ,ओर नाही अव अस्त्रशस्त्र की जरूरत हे,अव जो युद्ध लडे जा रहे हे वह छदम युद्ध हे ,जिसमे सिर्फ छल -छिद्र भरा हुआ हे।

ऐसे ही छल छिद्र का शिकार भारत भी हो रहा हे ।अव वगैर भूमिका के मूल बात पर आते हे इस समय गल्फ देशो मे भारत की छवि वेहद सुनियोजित तरीके से खराब की जा रही हे।आपको बता दे जिस दिन से भारत मे कोरोना को लेकर सख्ती हुई हे ,शासन,प्रशासन का पूरा ध्यान इस संक्रमण को रोकना था इसके चलते कुछ कठोर निर्णय भी लिए गये जिसमे धार्मिक आयोजनों पर रोक ,मंदिर मस्जिद गुरुद्वारेओर गिरजाघर भी बंद करने का निर्णय लिया गया।ओर उसके बाद का खेल पूरी दुनिया ने देखा, मदरसों से जमाती लोग जो कोराना पॉजिटिव थे पूरे देश मे मिलना शुरू हो गये ,इतना ही नहीं उनका इलाज न कराने के लिए कुतर्क करना ,डॉक्टर पर हमला ,पुलिस पर हमला नर्सों से अभद्रता ,फलो मे थूक लगाना, नाली मे फलो को धोना, तरह तरह की गंदी हरकतों से कितना परेशान किया उससे देश मे एक नकारात्मक छवि वनी ।

अपनी इन गलतियों का परिणाम यह हुआ लोग इनके खिलाफ खुलकर बोलने लगे समाचार पत्र लिखने लगे सोशलमीडिया इनके जाहिलपन से भर गई इसी का लाभ उठाकर वो लोग सक्रिय हो गये जो ऐसे बातों के इंतजार मे रहते हे जिसमें कुछ न्यूज चैनल, कुछ समाज सेवी कुछ फिल्मकार, कुछ नेता ।इन सव ने भारत की छवि विदेशों मे खराब करने का मिशन चालू कर दिया ,ऐसा प्रचार करने लगे जैसे भारत मे मुसलमानों पर बहुत अत्याचार हो रहे हे जिससे मुस्लिम देशों की सहानुभूति भारत के मुसलमानों के प्रति बढ जाये ओर भारत सरकार पर दबाव पडने लगे।

ये देशी गद्दार सिर्फ ओर सिर्फ भारत की छवि खराब करने मे लगे हे दुख तो जव होता हे तव बढे बढे समाचार पत्रों के मालिक भी इस सच्चाई पर अपनी कलम चलाने से बचते नजर आते हे ,विज्ञापनों के बोझ तले दबे बैठे स्तम्भकार भी मौन सहमति देकर उनके हौसले बढाते है।

विदेशी समाचार पत्रों मे ब्लॉग लिखने बाले देशी गद्दार, अपने चैनलों से झूठ परोसने बाले न्यूज चैनल, समाचार पत्रों मे एकपक्षीय खबर छापने बाले सम्पादक, समाजसेवा की आढ मे एनजीओ चलाने बाले समाजसेवी सव दोषी हे भारत की छवि खराब करने मे।