Tuesday, October 21

क्या राष्ट्र से बढ़कर हैं निजस्वार्थ / शाहीन बाग़

दिल्ली के शाहीन बाग़ में सीएए/एनआरसी के खिलाफ चल रहा धरना लोगों को ये सोचनी पर मजबूर कर रहा हैं की क्या राष्ट्र से बड़े हो सकते हैं निजी स्वार्थ | जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के तमाम तरह के उपाय खोज रही हैं ऐसे में भारत भी अपनी देशवासियो को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव उपाय कर रहा हैं | पर शहीएवाग में बैठे लोग या लोगो की मानसीकता उस कोरोना वायरस से भी खतरनाक दिख रही हैं जिसमे सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थ ही मुख्य हैं ऐसे में जब डब्लूएचओ द्वारा पूरी दुनिया को कोरोना वायरस से वचने के तमाम तरह के उपाय सुझाये जा रहे हैं और कम से कम एक मीटर की दूरी के फासले की बात की जा रही हैं उस स्तिथि में भी इस तरह के आंदोलनों का चलना कही न कही राष्ट्र विरोधी मानसिकता को दर्शाता हैं |

यह अच्छा अवसर था जब पूरा भारत एक सुर में इस गंभीर वीमारी से लड़ने के लिए खड़ा हैं | उस वक्त यदि शाहीन बाग़ के आंदोलनकारी अपना निर्णय वापिस लेते तो शायद उनकी विगड़ी हुयी छवि भी सुधर सकती थी पर इन आंदोलनकारियों ने ऐना न करके न सिर्फ अपनी असंबैधानिक गतिविधियां उजागर की हैं वल्कि जान मानस को एक गंभीर ख़तरा पैदा करने की दिशा में कदम रखा हैं पूरा राष्ट्र वाकिफ ही चुका है की यह समुदाय सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही समर्पित हैं न की राष्ट्र के लिए |

जिस तरह से कोरोना वायरस की दहशत पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रही हैं इसका असर भारत में भी तेजी से दिखाई देने लगा हैं पर सरकार के समय पर उठाय गए फैसले ने उसकी रफ़्तार को आगे नहीं बढ़ने दिया हैं उस वायरस की रोकथाम सिर्फ सरकार के हाथ में नहीं हैं क्योँकि इसका असर सीधा-सीधा मानव सभ्यता पर पड़ रहा हैं इसलिए इसमें सभी का सहयोग अपेक्षित हैं ऐसे में कोई भी व्यक्ति समाज या समुदाय जब अपने निज स्वार्थ को सोचने तगता हैं और उससे पूरी को ख़तरा होने लगता हैं तो वह राष्ट्रद्रोह से काम नहीं हैं इसलिए शहीनवाग में जो चल रहा हैं वह भी सी श्रेणी में आता हैं