Wednesday, October 22

क्या ताहिर हुसैन से ध्यान भटकाने के लिए कन्हैया पर केस दर्ज करने की अनुमति दी

जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वाले कन्हैया कुमार पर मुकदमा करने की केजरीवाल सरकार ने आखिर अनुमति दे दी हैं | वैसे तो यह कहा जा रहा हैं की आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन को दंगा कराने से सबूत मिलने के बाद केजरीवाल सरकार बैकफुट पर आ गयी और ताहिर हुसैन से ध्यान भटकाने के लिए कन्हैया कुमार पर मुकदमा चलाने की अनुमति देदी जिससे मिडिया का धयान ताहिर हुसैन की जगह कन्हैया पर चला जाए |

यदि हम कन्हैया कुमार की बात करे तो कन्हैया कुमार ने जिस तरह से जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारेवाजी की थी और उसके समर्थन में राहुल गाँधी सहित कई पार्टीयो ने नेता पहुचगये थे उसके बाद से ही दिल्ली के हालात में परिवर्तन दिखाई देने लगा था यह परिवर्तन राष्ट्रबाद और राष्ट्रविरोधी में तब्दील होता चला गया | एक और जहा इस तरह के नारेबाजी करने बाले लोगो को राष्ट्र विरोधी कह रहे थे वही दूसरी और उनके पक्ष में खड़े होकर इसे अभिव्यक्ति की आजादी बता रहके थे यह दायरा इतना बढ़ता गया इस दायरे में पत्रकारों से लेकर बुद्धिजीवी राजनैतिक पार्टिया तक बाटे हुए नजर आने लगे | इसका परिणाम यह हुआ की जैसे जैसे मोदी सरकार कोई भी राष्टहित का काम करती तो दूसरा पक्ष उसके विरोध में ही खड़ा नजर आता यह विरोध इतना चरम सीमा तक पहुचगया की बगैर समझे ही लोगो ने विरोध करना शुरू कर दिया सबसे बड़े दुःख की बात यह जेड़ + की सुरक्षा में रहते है वो आम जान मांस को भटका रहे हैं इसी क्रम में आम आदमी पार्टी भी अछूती नहीं रही मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान पर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक से सबूत मांगे वाली आम आदमी पार्टी थी

देश में जितने भी आंदोलन किये गए उन सब में आम आदमी पार्टी पहली पंक्ति में दिखाई ड्डी इसी के चलते कन्हैया कुमार पर जेएनयू में राष्टविरोधी नारे लगाने पर मामला दर्ज करने की बारी आयी तो केजरीवाल सरकार ने उस फाइल दवाकर रखा और मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी इस तरीके की राजनीती के बीज के बीच कन्हैया कुमार राष्ट्रीय हीरो के रूप उभरकर आने लगे और इस तरह के लोगो का एक ऐसा ग्रुप बन गया जो देश में होने वाले हर परिवर्तन का विरोध करने लगे इसी का परिणाम हैं शाहीनवाग |

जिसमे 70 दिनों से सीएए के खिलाफ ग़ैरकानूनी तरीके धरने पर बैठेकर देश के प्रधानमन्त्री और देश के गृहमंत्री को गालिया दे ते हैं इसके बाबजूद बगही इसी तरह का कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया जाता उससे बढ़ते होसलो के चलते दूसरी जगह शाहीन बाग़ बनाने की तैयारी शुरू हो गया और जब जब उसे रोकने का प्रयास किया गया तो आगजनी की गयी और हत्या की गयी जब हत्या में अपनी ही पार्टी केलोग धीरे नजर आने लगे तो कन्हैया पर मुकदमा दर्ज करने की अनुमति देदी गयी |

ये कैसी मानसिकता हैं ये समझ से परे हैं पर इतना जरूर हैं की इस मानसिकता ने 48 लोगो की जान लेली हैं करोड़ी रुए की संपत्ति बर्बाद हो गयी और आपस में ान मुटाव पैदा हो गया यदि यही कदम समय रहते उठा लिया होता तो निश्चित ही इतना सव नहीं हो पाटा |