Friday, October 24

बिगड़ते बोल और दिल्ली

दिल्ली में हुयी हिंसा में अभी तक 48 लोगो ने अपनी जान गवा दी सीएए के विरोध में और पक्ष में हुए बयानवाजी का परिणाम आगजनी के रूप दिखाई दे रहा हैं |

केंद्र सरकार द्वारा धार्मिक रूप से प्रताड़ित हिन्दुओ के लिए लाये गए कानून का देश की बिपक्षी पार्टियों ने जिस तरह से विरोध किया वह हिन्दू और मुसलमान की नफरत में तब्दील हो गया | नेताओ की बयानवाजी और अपरिपक्ता सत्ता की महत्वकांशा ने 48 लोगो की जान लेली जिस तरह से रामलीला मैदान से यूपीए की चेयर पर्सन श्रीमती सोनिया गाँधी ने सीएए के खिलाफ हुंकार भरकर सड़को पर उतरने की गुहार लगाई थी और आरपार की लड़ाई की बात की थी | उसके बाद से ही धरनो का दौर शुरू हुआ | कुछ पक्ष में तो कुछ बिपक्ष में आमने सामने लोग दिखाई देने लगे इतना ही नहीं इसी का परिणीति के चलते शाहीनबाग़ सज गया | और उस शाहीनबाग़ में जो नहीं होना चाहिए वह सब हुआ जिस तरह से शाहीनवाग में देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को अपशब्द बोले गए वह सभ्य समाज के लिए एक दाग हैं |

दूसरी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजे गए बर्ताकारो की बिफलता के बाद दिल्ली सुलग गयी | नेताओ की अभद्र भाषा उकसाने वाले उनके भाषणों में दिल्ली को दहलाने में महती भूमिका अदा की चाहे रामलीला मैदान से या फिर शाहीनबाग़ से हो | इतने बड़े हादसे के बाद भी नेता अपनी बेलगाम जुबान को अभी भी चलने से बाज नहीं आ रहे हैं | यही इसी तरह की बदजुबानी चलती रही तो हालातो में सुधार होना संभव नहीं हैं इस पर ससरकार को गंभीरता से कार्यवाही करनी चाहिए |