गंजबासौदा। प्रशासनिक अंकुश हटते ही शहर का बाजार फिर पटरी पर आ गया है। सड़क पर उतर आई दुकानों की वजह से सुभाश चौक, पुरानी कृषि, मंडी मार्ग, बरेठ रोड, पारासरी नदी पुल, विजय टाकीज, सावरकर चौक, सिरोंज चौराहे पर फिर ट्रेफिक जाम की स्थिति बन रही है। इससे लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है।
प्रशासन ने पिछले साल जनवरी में सड़क की पटरियों से अतिक्रमण हटाया था। इसके बाद फुटपाथों पर बाजार लगना बंद हो गया था। पटरियां अतिक्रमण मुक्त होकर सड़कें चौड़ी दिखाई देने लगी थी। लोगों का पैदल चलना आसान हो गया था। लेकिन प्रशासन की अतिक्रमण मुहिम बंद होते ही सड़कों के किनारों पर फिर से गुमठियां स्थापित होती जा रही है। पटरियों पर अतिक्रमण होने के कारण सब्जियों के हाथ ठेले सड़क तक खड़े हो रहे हैं।
पटरियों पर आ गई दुकानें: शहर में अतिक्रमण हटाओं मुहिम के दौरान दुकानदारों ने अपना सामान पटरियों से हटा लिया था। अब फिर से दुकानों के आगे दस से पन्द्रह फीट तक सामान रख कर व्यापार चल रहा है। इससे पारासरी नदी से सावरकर चौक तक फुटपाथ अब बचा ही नहीं है। फल सब्जी वाले सड़क से सटकर हाथठेले लगा रहे हैं। इससे सड़कें संकरी हो गई हैं। वाहनों का चलना कठिन हो रहा है।
सुभाष चौक बना सब्जी बाजार:
प्रशासन और पुलिस ने ढाई साल पहले सुभाष चौक से सब्जी बाजार को हटाकर मिल रोड पर भेज दिया था। इससे सुभाष चौक से जाम की स्थिति खत्म हो गई थी। कक्का वाली गली के लोगों को राहत मिल गई थी। उनके मकान के सामने लगने वाली दुकानें व शोरगुल से निजात मिलने से उन्होंने राहत महसूस की थी। अब फिर स्थिति जस के तस हो गई है। सुभाष चौक से लेकर गली तक सड़क पर दोनों तरफ सब्जी के हाथ ठेले खड़े हो जाते हैं। सब्जी खरीदने के लिए इतनी भीड़ रहती है कि गली से पैदल निकलना ही मुश्किल हो रहा है।
लग रहा जाम: विजय टाकीज क्षेत्र में पीपल के पास से सावरकर चौक तक मुख्य मार्ग के दोनों तरफ सब्जी फल के ठेले खड़े रहते हैंं। लोग मोटरसाइकिलें और साइकिल सड़क पर खड़ी कर खरीदारी करते हैं। इससे वाहनों के क्रासिंग के दौरान जाम लग जाता है।
क्यों हुई बंद कार्रवाई
प्रशासन ने पटरियों से गुमठी और हाथ ठेलों को हटा दिया था। जब पक्के अतिक्रमण हटाने की बारी आई तो नपा ने नोटिस देकर चुप्पी साध ली। लेनिवि ने नोटिस जारी नहीं किए। राजस्व अधिकारियों पर जनप्रतिनिधियों ने दबाव बना दिया। एक बार जब मुहिम ढीली पड़ी तो होती चली गई। फिर अधिकारियों में धारणा बन गई जब शहर के लोग ही शहर को साफ सुथरा नहीं चला ते उन्हें क्या पड़ी है।