Tuesday, September 23

निर्भय मिसाइल का सफल परीक्षण, पाकिस्तान का हर शहर होगा जद में

7695_indias-sub-soni 9828_nirbhayaनईदिल्ली। भारत ने शुक्रवार को सब सॉनिक क्रूज मिसाइल निर्भय का सफल टेस्ट किया। स्वदेश में बनी और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रटेड टेस्ट रेंज आईटीआर से किया गया। मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किलोमीटर है और इसके दायरे में पाकिस्तान के सभी प्रमुख शहर आते हैं। प्रोजेक्ट से जुड़े डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के एक वैज्ञानिक ने बताया कि मिसाइल का पहला टेस्ट साल 2013 में इसी केंद्र से किया गया था, लेकिन रास्ते से भटकने के मद्देनजर उस परीक्षण को बीच में ही रोकना पड़ा था। डीआरडीओ के अधिकारी ने बताया कि तब मिसाइल के नेविगेशन प्रणाली में कुछ खामी थी, जिसे ठीक किया गया।
ब्रह्मोस से अलग है निर्भय
भारत के पास 290 किलोमीटर तक मार करने वाली सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस है, जिसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है, लेकिन लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल निर्भय अलग तरह की है। यह बेंगलूरू में डीआरडीओ की यूनिट एयरोनॉटिकल डेवलमेंट इस्टैब्लिशमेंट द्वारा बनाई जा रही है। इसे भारतीय वायुसेना के अग्रिम मोर्चे के लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई से दागा जा सकेगा। डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंद्र ने बताया निर्भय मिसाइल हवा, जमीन और पोतों से दागी जा सकेगी। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह दुश्मन के वायु रक्षा प्रणाली को आसानी से चकमा दे सकती है।

निर्भय की खासियतें
निर्भय पाकिस्तान की बाबर और अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइल का जवाब है। निर्भय का आम मिसाइल की तरह ही लॉन्च किया जाता है, लेकिन एक निर्धारित ऊंचाई तक पहुंचने के बाद इसमें लगे विंग्स खुल जाते हैं और निर्भय मिसाइल एक विमान की तरह काम करने लगती है। निर्भय मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ सकती है, जिसकी वजह से यह दुश्मनों के रडार में नहीं दिखती। निर्भय को ग्रांउड स्टेशन से कंट्रोल किया जा सकता है। टारगेट तक पहुंचने के बाद निर्भय उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगा सकती है और सटीक मौके पर मार कर सकती है। निर्भय की रेंज 700 से 1000 किमी तक है। निर्भय में फायर एंड फॉरगेट सिस्टम लगा है, जिसे जाम नहीं किया जा सकता। मिसाइल क्षमता के मामले में भारत चीन से कुछ आगे है, जबकि पाकिस्तान कहीं पीछे। हालांकि, अमेरिका और चीन की मदद से उसने कुछ घातक हथियार एकत्र किए हैं, लेकिन भारत के पास उसकी काट भी मौजूद है। भारत ने लगातार अपनी रक्षा प्रणाली और खासकर मिसाइल तकनीक को विकसित किया है। अग्नि और पृथ्वी श्रंृखला इसका स्पष्ट उदाहरण है। दरअसल, मिसाइलों के क्षेत्र में भारत ने 80 के दशक में कदम बढ़ाया था। इसके बाद पलट कर देखने की जरूरत ही नहीं हुई। लगातार विकसित होती तकनीक और वैज्ञानिक क्षमताओं के विकास ने भारतीय मिसाइल रक्षा प्रणाली को और मारक बना दिया है।