Tuesday, September 23

इतिहास रचने के बाद भारत के मार्स ऑर्बिटर ने भेजी मंगल ग्रह की पहली तस्वीर

4774_mars-orbiter-missionनईदिल्ली। इसरो के मंगलयान ने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में दाखिल होकर इतिहास रचने के बाद लाल ग्रह की पहली तस्वीर भेजी है। इसमें मंगल की सतह दिखाई देती है। अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर गुरूवार को यह तस्वीर जारी की। इसरो के एक टॉप अधिकारी ने कहा, बुधवार को हमें पांच तस्वीरें मिलीं। फिलहाल ये सभी प्रक्रिया में हैं।
इससे पहले मंगलयान 65 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को मंगल ग्रह पर पहुंचा था। इसे पिछले साल दिसंबर में लॉन्च किया गया था। यान के मंगल की कक्षा में स्थापित होने के साथ ही भातर दुनिया का पहला ऐसा दिश बन गया है, जिसने पहली ही कोशिश में ऐसा कर दिखाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को क्रिकेट में जीत से हजार गुना बड़ी बताया है। उधर, आलोचनाओं के स्वर भी उठे हैं। पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने कहा है। कि भारत कभी तकनीक के मामले में पाकिस्तान के सामने बच्चा था, लेकिन देश की भ्रष्ट सरकार ने वैज्ञानिकों को जेल में डाल दिया और अमेरिका के निर्देश पर रिसर्च बंद करा दिए मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित होते ही इसरो के मंगल मिशन ने एक अहम मुकाम हांसिल कर लिया है। अब यान का अगला काम मंगल ग्रह की जांच-पड़ताल करना और तस्वीरें लेकर पृथ्वी पर भेजना है ताकि वैज्ञानिक उनका अध्ययन कर सकें। मंगल ग्रह की जांच करने के लिए यान के साथ पांच पेलोड मंगल यान के साथ भेजे गए कैमरे और अन्य उपकरण भेजे गए हैं।

थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पैक्ट्रोमीटर: 3.2 वजनी यह कैमरा मंगल ग्रह से निकलने वाली गर्मी की तस्वीरें लेगा। इसे दिन और रात दोनों समय इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह कैमरा किसी वस्तु से निकलने वाले तापमान के आधार पर तस्वीर बनाता है। खनिज और मिट्टी से अलग-अलग मात्रा में तापमान निकलता है। इस कैमरे की सहायता से मंगल ग्रह पर मौजूद खनिजों का पता लगाया जा सकता है और उसका नक्शा भी बनाया जा सकता है।
लीमन अल्फा फोटोमीटर: लीमन अल्फा फोटोमीटर 1.27 किलोग्राम वजनी एक खास तरह का फोटोमीटर है। यह मंगल ग्रह के मंगल ग्रह के वायुमंडल में मौजूद ड्यूटेरियम और हाइड्रोजन का पता लगाएगा। इसकी मदद से वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे की इस ग्रह से पानी कैसे गायब हुआ।
मिथेन सेंसर मार्स 2.94 किलोग्राम वजनी मिथेन सेंसर मंगल ग्रह के वायुमंडल में मौजूद मिथेन की मात्रा का पता लगाएगा। इसके साथ ही यह सेंसर मंगल ग्रह के उन स्त्रोतों का नक्शा भी बनाएगा जहां से मिथेन गैस निकलती हो। गौरतलब है कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में मिथेन गैस की मात्रा हर जगह एक समान नहीं है। मंगल ग्रह पर कभी जीवन था या नहीं, यह वहां मौजूद मिथेन गैस के अध्ययन से ही पता किया जा सकता है।
मार्स ऐक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कम्पोजीशन एनालाइजर:3.56 किलोग्राम वजनी यह उपकरण मंगल ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन करेगा। यह उपकरण पता लगाएगा कि मंगल ग्रह का वायुमंडल किन तत्वों से बना है।
मार्स कलर कैमरा:1.27 किलोग्राम वजनी यह कैमरा मंगल ग्रह के सतह की तस्वीरें लेगा। इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक यह जान पाएंगे कि मंगल ग्रह का सतह कैसा है और यह किन चीजों से बना है। इन तस्वीरों से मंगल ग्रह के गतिशील घटनाओं और मौसम की निगरानी की जा सकेगी।