नईदिल्ली। चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी से सटे पूर्वी लद्दाख के चुमार में चीन के एक हजार और इतने ही भारतीय सैनिक डटे हुए हैं। पिछले 12 दिनों से जारी गतिरोध को देखते हुए भारत ने सीमा पर और सैनिक भेजने का फैसला किया है। यह फैसला उस घटना के बाद किया गया है, जब तीन दिन पहले चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों को उनके ही इलाके में पीछे धकेल दिया था। उधर, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के तीन जनरलों को क्षेत्रीय जंग जीतने के लिए तैयार रहने और अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कहा है। सीमा पर तनाव के बीच जिनपिंग का यह बयान विवाद को और बढ़ा सकता है।
क्यों हटना पड़ा भारतीय सैनिकों को पीछे: गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में चीनी सैनिक और भी ज्यादा उग्र हो गए हैं। तीन दिन पहले पीएलए के जवानों ने चुमार के आठ प्वाइंट्स पर भारतीय सैनिकों को उनके ही इलाके में तीन किलोमीटर तक भीतर धकेल दिया। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, हमारे सैनिक भी चीनी सैनिकों से टक्कर लेने डटे हुए हैं। हालांकि, भारतीय सैनिकों को रणनीतिक कारणों के चलते पीछे हटना पड़ा क्योंकि उस समय चीनी सैनिकों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक थी। इसके बाद भारत की ओर से ज्यादा फोर्स भेजी गई और अब दोबारा भारतीय जवान अपनी पोजिशन पर डटे हैं। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, अब सवाल यह है कि पहले कौन पीछे हटता है। चीनी चाहते हैं कि हम सीमा के करीब बनाई गई सड़क और अन्य स्ट्रक्चर को नष्ट करें, लेकिन हम इसके लिए तैयार नहीं हैं।
सेना प्रमुख की पहली विदेश यात्रा रद्द: डिप्लोमैटिक प्रयासों के बावजूद करीब 14500 फीट ऊंचाई पर भारतीय और चीनी सैनिक अपनी-अपनी पोजिशन पर बने हुए हैं। इस स्थिति को देखते हुए सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने अपना तीन दिवसीय भूटान दौरा रद्द कर दिया है।