Tuesday, September 23

पाकिस्तान में तोड़ा जाएगा एक और मंदिर

4699_tempal-pic 4643_tempalइस्लामाबाद। पाकिस्तान में मंदिरों के अस्तित्व पर संकट कोई नहीं बात नहीं है। छावनी शहर रावलपिंडी में मंदिर के भविष्य पर मंडरा रहे खतरे ने हिंदू समुदाय के गुस्से को एक बार फिर भड़का दिया है। सैनिकों के लिए बैरक बनाने के लिए एक ऐतिहासिक मंदिर को तोडऩे का खतरा पैदा हो गया है। इस मामले को लेकर देश के अल्पसंख्यक समुदाय में जबरदस्त गुस्सा है। हालांकि इस मामले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की ओर कोर्ट में दायर की गई याचिका के बाद कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है, लेकिन मंदिरों के अस्तित्व पर संकट का ये कोई अकेला मामला नहीं है। इसे पहले अलग-अलग घटनाओं में भी मंदिरों के टूटने के मामले लगातार सामने आए और स्थानीय प्रशासन इन्हें रोक पाने में नाकान रहा।
रावलपिंडी का यह मंदिर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की धार्मिक गतिविधयों का केंद्र है। इसके अलावा पाकिस्तान में और भी कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं।
कटास राज मंदिर, चकवाल (लाहौर): पाकिस्तान के पंजाब के चकवाल में स्थित कटास राज मंदिर की अपनी महिमा है। यह भगवान शिव का मंदिर है। कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल से अस्तित्व में था। पांडवों ने निर्वासन के दौरान यहां कुछ समय बिताया था। कहा तो यह भी जाता है कि माता सती के वियोग में शिव इतना रोए कि उनके आंसुओं से नदी बह गई।
गोरखनाथ मंदिर, पेशावर: पाकिस्तान के पेशावर में मौजूद ये ऐतिहासिक मंदिर 160 साल पुराना है। ये बंटवारे के बाद से ही बंद पड़ था। और यहां रोजाना का पूजा-पाठ भी बंद पड़ा था। पेशावार हाई कोर्ट के आदेश पर छह दशकों बाद नवंबर 2011 में दोबारा खोला गया। इस मंदिर खोलने के लिए पुजारी की बेटी फूलवती ने चाचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने इसे खोलने का आदेश दिया था।
हिंगलाज मंदिर, बलूचिस्तान: बलूचिस्तान के हिंगोल नेशनल पार्क में देवी सती का शक्ति पीठ है। इसे हिंगलाज मंदिर और नानी मंदिर कहा जाता है। कहते हैं कि सती की मृत्यु से नाराज भगवान शिव ने यहीं तांडव खत्म किया था। एक मान्यता यह भी है कि रावण को मारने के बाद राम यहां तपस्या की थी।