Wednesday, September 24

इतिहास की गाथा

MP में कब बनेगी फिल्मसिटी?:सरकारें बदलती रहीं, फिल्मसिटी सिर्फ मीडिया की सुर्खियां बनी, लेकिन हकीकत में सपना बनकर रह गई
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MP में कब बनेगी फिल्मसिटी?:सरकारें बदलती रहीं, फिल्मसिटी सिर्फ मीडिया की सुर्खियां बनी, लेकिन हकीकत में सपना बनकर रह गई

राजकुमार संतोषी के प्रदेश में फिल्म एकेडमी खोलने की बात पर शुरू हुई चर्चाफिल्मसिटी की बात प्रदेश में अब तो ऐसे हो गई जैसे 9 दिन चले अढ़ाई कोस... ‘भोपाल और पूरा मध्यप्रदेश फिल्मसिटी के लिए अनुकूल है। यहां की हर लोकेशंस पर फिल्म की शूटिंग की जा सकती है। एक तरह से कहें तो पूरा मध्यप्रदेश ही फिल्मसिटी बन सकता है।’ यह बात कई सालों से जो फिल्म मेकर मध्यप्रदेश में शूटिंग करने आ रहे हैं। वे अक्सर कहते नजर आते हैं। वे शूटिंग की परमिशन और शूटिंग के समय बड़ी बातें करते हैं और कहते हैं कि हम चाहते हैं यहां फिल्मसिटी बने और हम उससे जुड़े। मध्यप्रदेश में भी सरकार कई सालों से इस पर प्रस्ताव बनाती आ रही है। पीपीपी मोड के तहत फिल्मसिटी बनाने की बात भी करती है, जमीन के लिए लोकेशंस भी चिन्हित और प्रस्तावित होती है, लेकिन कुछ समय बाद सारी बातें ठंडे बस्ते में चली जाती हैं। यहां वह कहावत चरितार्थ हो...
1971 की भारत-पाक जंग के 50 साल पूरे:मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई, शहीदों को श्रद्धांजलि दी
इतिहास की गाथा, राजधानी समाचार, राज्य समाचार, विविध

1971 की भारत-पाक जंग के 50 साल पूरे:मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई, शहीदों को श्रद्धांजलि दी

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग में जीत के आज 50 साल पूरे हो गए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल (NWM) पर स्वर्णिम विजय मशाल जलाई। यहां उनकी अगुआई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी मौजूद रहे। सभी ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। पूरे देश में बुधवार से स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया जा रहा है। शहीदों की याद में कई कार्यक्रम हो रहे हैं। इनमें 1971 की जंग में लड़े सैनिकों और शहीदों की विधवाओं का सम्मान किया जाएगा। इसके साथ ही बैंड डिस्प्ले, सेमिनार, प्रदर्शनी, फिल्म फेस्टिवल, कॉन्क्लेव और एडवेंचर एक्टिविटी भी होंगी। चार विजय मशाल जलाई गईं प्रधानमंत्री ने नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ से चार विजय मशाल जलाई। इन मशालों को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया जाएगा। ये मशालें 1971...
सुशांत सिंह की मौत इतिहास लिखेगी..
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सुशांत सिंह की मौत इतिहास लिखेगी..

सुशांत सिंह की मौत ने फिल्म इंडस्ट्री की कालिख को उजागर कर दिया है ऐसे कई लोग है जो फिल्मों में दिलचस्पी नहीं रखते पर सुशांत सिंह की मौत से वो स्तब्ध है। ओर फिल्म इंडस्ट्री के काले कारनामों पर अपनी बेबाक राय दे रहे है ।उनके गुस्से का कारण खान सिंडिकेट है जो अपने आगे सभी को बौना समझते है। छिछोरी हरकतें घिनौनी सक्लो बाले मनोरंजन के नाम पर हमें जबर्दस्ती थोपे गये। पर सुशांत सिंह की मौत ने इन हकले ओर जिहादी मानसिकता बालों की हरकतों को उजागर कर दिया है ।फिल्म इंडस्ट्री की करतूतों को कोई उजागर नहीं कर पा रहा था ।सुशांत सिंह के जाने के बाद अव लोग खुलकर बोलने लगे हैं अव तो लोग साफ साफ नाम सलमान खान एकता कपूर करण जौहर का ले रहे है ।विहार में सलमान खान सहित आठ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।वहीं कुछ लोग सीबीआई जांच की मांग भी कर रहे है ।ऐसा लग रहा है खान बंधुओं का किला ढाहने बाला है। सुश...
बच्चों को दादी-नानी से मिलता है जीवन का अमूल्य ज्ञान
इतिहास की गाथा, कहानी, लाइफ स्टाइल

बच्चों को दादी-नानी से मिलता है जीवन का अमूल्य ज्ञान

राहत इंदौरी का एक शेर है, बुज़ुर्ग कहते थे एक वक़्त आएगा जिस दिन, जहाँ पे डूबेगा सूरज वहीं से निकलेगा…बात गहरी है, क्योंकि एक परिवार, पीढ़ियों दर पीढ़ी आगे बढ़ता है. घर के बुजुर्गों से लेकर नवजात बच्चे तक, हम सभी रिश्तों की एक ऐसी डोर में बंधे होते हैं, जिसका धागा खुद ऊपरवाला ही बनाकर भेजता है. और फिर घर में बड़े बुजुर्गों का साथ भी किस्मत से ही नसीब होता है. आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है. तब बुजुर्गो का एक अलग ही महत्व समझ में आता है. आज की मॉडर्न दुनिया में जब बुजुर्गों द्वारा दिया गया, कोहनी से मुँह ढांक कर खांसने का नुस्खा ही हमारे काम आया, तब अहसास हुआ कि जीवन की कुछ ख़ास बातें, सिर्फ घर के बड़े बुजुर्ग ही सिखा पाते हैं. बचपन की छुट्टियों में दादी-नानी के घर की गई शरारतें हम सभी के जहन में जीवनभर के लिए घर कर लेती हैं. ख़ास चीज ये है कि इस दौरान हम खेल-खेल में न जान...
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पर्यावरण प्रकृति का आधार।

प्रकृति का मूल आधार पर्यावरण ही है ।जो प्रकृति के तत्वों की रक्षा करता है।पर्यावरण का असंतुलन प्रकृति को असंतुलित करता है । प्रकृति का सौन्दर्य ही पर्यावरण से है। आज पूरी दुनिया में चारों ओर पर्यावरण की चर्चा तो हो रही है ओर चिंता भी प्रकट की जा रही है पर उसके समाधान की कोई ठोस कोशिश नहीं की जा रही तभी तो पूरी दुनिया इस असंतुलन की मार झेल रहा है। आज प्रकृति का पूरी दुनिया ने दोहन किया है विकास कि अंधी दौड ने पर्यावरण को असंतुलित कर दिया ।प्रकृति का मूल आधार जल जमीन ओर जंगल से लेकर आसमान तक इस मानव ने अपने स्वार्थी मनसूबों से दूषित कर रखा है। जिस तरह से मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन किया जा रहा है वह स्वयं भी मनुष्य के लिए हनिकारक सावित हो रहा हें इसी तरह यदि दोहन होता रहा तो मानव सभ्यता भी खतरे में दिखाई देगी। आज जंगलों की अवैध कटाई ने पृथ्वी को तपने के लिए मजबूर कर द...
इतिहास की गाथा

रक्तरंजिततिरंगाऔरभोपालकाभारतमें_विलय

सोचो सागर जिले का राहतगढ, विदिशा का कुरवाई, मेरा सुल्तानपुर, आपका सीहोर वहैरह भारत में न होकर पाकिस्तान का अंग होते? कंपकंपी छूट गई न ! जी यह कल्पना नहीं है यह षडयंत्र रचा गया था। आप सब जानते हैं कि भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था। लेकिन भोपाल? जी हाँ भोपाल को तिरंगा करीब दो साल बाद आज के दिन देश में सबसे आखिर मे 1 जून 1949 को नसीब हुआ था, वह भी आजादी की लड़ाई लड़ते हुये शहीदों के खून से सना हुआ। आजाद भारत में तिरंगा फहराने पर गोलियों का उपहार देने का बद्नुमा दाग लगाया है भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान नें, जिसके नाम पर भोपाल के अस्पताल और कॉलेज हैं। आईये थोड़ा सा इन जख्मों को कुरेद कर तिरंगे पर लगे खून को प्रणाम करते हैं। प्राकृतिक रूप से सात पहाड़ी और सात झीलों वाला भोपाल देश का एक खूबसूरत शहर जिसे 1000 ईस्वी में राजा भोज ने बसाया था। सदियों यह परमारों का महत्वपूर्ण नगर रहा। बाद ...
श्रीराम मंदिर का काम शुरू….
इतिहास की गाथा, कहानी, देश विदेश, भोपाल संभाग, राजधानी समाचार, राज्य समाचार, संपादकीय

श्रीराम मंदिर का काम शुरू….

आज की तारीख एक बार ओर इतिहास में दर्ज हो गई ,ओर यह तारीख ऐसे ही दर्ज नहीं हुई आज सनातन हिंदुओं के लिए बढे सौभाग्य का दिन है ।भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण आज से शुरू हो गया । देश की राजनीति की दिशा बदलने बाले इस अभियान ने बहुत कुछ सहा ओर बहुत कुछ खोया ओर ना जाने कितने लोग इस अभियान के लिए नींव का पत्थर वन गये ,न जाने कितने संतो ने अपने प्राणों की आहूति दे दी ,धन्य है वो आत्माएं जिन्हें इस पुण्य कार्य के निमित्त बने। याद आ जाता है वो मुलायम सिंह के दमनचक्र जिसमें हजारों निरापराध संतों को गोलियों से भून दिया गया था। उस समय समाचार का साधन तो सिर्फ समाचार पत्र ही थे य दूरदर्शन की न्यूज । पर उस समय एक बीडीओ कैसेट आया था , जिसका नाम था कालचक्र उस कैसेट को देखकर रूह कांप जाती थी किस तरह से मुलायम सिंह ने , रामभक्तों पर गोलियां चलवाई थी । सडकों पर जहां तहां लाशें ही लाशें दिखाई द...
संतों की हत्याएं ओर राक्षस युग !
अपराध जगत, इतिहास की गाथा

संतों की हत्याएं ओर राक्षस युग !

उस समय भी राक्षसों के आतंक से साधू संत सुरक्षित नहीं थे,उस समय भी मक्कार ओर भोगलिप्सा में मग्न राजा होते थे, उस समय भी भगवा को कीमत चुकाना पढ रही थीओर उस समय भी जनता असहाय महसूस करती थी । इस समय महाराष्ट्र मे भी यही सव हो रहा है ,ओर वहां की मक्कार सरकार सत्ता विलासिता मे ऐसी डूबी है ,उसे कुछ ओर दिखाई ही नहीं दे रहा ।पहले पालघर में बेरहम भीड ने दो संतों की हत्या की ओर अव नादेड़ मे एक संत की ओर हत्या कर दी गई।...
वट सावित्री,की हार्दिक शुभकामनाएँ
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वट सावित्री,की हार्दिक शुभकामनाएँ

वट अमावस्या को वट सावित्री के नाम से भी जाना जाता है। अपने पतियों की लंबी उम्र, सलामती और खुशहाली के लिये उत्तर भारत के कई हिस्सों में विवाहित महिलायें इस व्रत का पालन करती है। सावित्री की कहानी पर आधरित यह दिन मृत्यु के देवता यमराज से अपने पति को वापस लाने की एक पत्नी की दृढ़ की इच्छाशक्ति के बारे में है। यह ज्येष्ठ महीने की त्रयोदशी को शुरू होता है और पूर्णिमा पर खत्म होता है। वट सावित्री सती की कथा के बारे में बताते हुए, एण्ड टीवी के ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं’ में संतोषी मां की भूमिका निभा रहीं, ग्रेसी सिंह ने कहा, ‘‘महान सती के रूप में ख्यात यह दिन सावित्री के अपने पति के प्रति अगाध समर्पण का है। अश्वपति की बेटी को सत्यवान से प्रेम हो जाता है और यह जानते हुए कि उसका जीवनकाल छोटा है फिर भी उससे शादी कर लेती है। शादी के बाद वह हर दिन अपने पति की लंबी आयु के लिये प्रार्थना करना शुरू कर...
व्यासपीठ की गरिमा को बचाने आगे आये! स्वमी चिदम्बरानन्द सरस्वती
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व्यासपीठ की गरिमा को बचाने आगे आये! स्वमी चिदम्बरानन्द सरस्वती

देश को जिस मुहीम का इंतजार था ,आखिर उसकी अलख जग ही गई ।बहुत दिनों से लोग सनातन धर्म के साथ हो रहे मजाक को मजबूरी मे सहन कर रहे थे ,पर अव देश के एक संत ने इसे रोकने के लिए अलख जगा दी है । इस महान संत का नाम है स्वमी चिदम्बरानन्द जी सरस्वती। व्यासपीठ को हंसी का पात्र वनाने बाले मुरारी बापू, चिन्मयानंद जी, देवी चित्रलेखा के खिलाफ सनातन धर्म के लोगों के साथ स्वमी चिदम्बरानन्द जी सरस्वती जी ने व्यासपीठ की गरिमा को बचाने के लिए मुहिम छेड दी है इसमें उन्हें देश विदेश के सच्चे सनातनियों का साथ मिल रहा है । यह बडा कठिन कार्य था इसमें हाथ डालने का मतलब इन बढे आडम्बर बाले कथा वचाकों के हजारों लाखों अनुयायियों का विरोध का सामना करना पर सनातन की गरिमा को बचाने किसी को तो आगे आना ही चाहिए था।सबसे बडी बात ये है इन कथा वाचकों के पीछे बढे बढे लोगों का हाथ है ,मंत्री, संत्री इनके आगे पीछे घूमते नजर आ...