Saturday, October 18

आंदोलन

कृषि कानून पर एक्सपर्ट्स का मंथन:सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति की आज पहली बैठक; 4 के बजाए 3 सदस्य ही शामिल होंगे
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कृषि कानून पर एक्सपर्ट्स का मंथन:सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति की आज पहली बैठक; 4 के बजाए 3 सदस्य ही शामिल होंगे

नए कृषि कानूनों पर चल रहे विरोध का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की आज पहली बैठक होगी। बैठक में तय होगा कि किसानों से कैसे बातचीत की जाए। आगे की रणनीति तैयार करने के लिए भी कमेटी कोई बड़ा फैसला ले सकती है। यह बैठक दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट में होगी। एक सदस्य छोड़ चुके हैं कमेटीकोर्ट ने 12 जनवरी को 4 सदस्यों वाली कमेटी का गठन किया था। इसमें भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान, इंटरनेशनल पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट अशोक गुलाटी और शेतकरी संघटना, महाराष्ट्र के अनिल घनवट का नाम था। समिति के सदस्यों के नाम का ऐलान होते ही किसानों ने इसे सरकार के समर्थन वाली समिति बता दिया। विवाद बढ़ा तो भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया था। बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट मान सिंह की जगह किसी और को समिति में जगह दे सकता है। समित...
किसान आंदोलन पर सुप्रीम सुनवाई:26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में जिरह
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किसान आंदोलन पर सुप्रीम सुनवाई:26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में जिरह

26 जनवरी, यानी गणतंत्र दिवस, के दिन किसान संगठनों ने ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है। दिल्ली पुलिस इस रैली के खिलाफ है, जबकि किसान संगठनों ने मांग की है कि उन्हें रैली निकालने की इजाजत दी जाए। इसको लेकर दायर दिल्ली पुलिस की अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच करेगी। दिल्ली पुलिस के तर्क क्या हैं? कोई भी रैली या ऐसा विरोध जो गणतंत्र दिवस समारोह में खलल डालने की कोशिश करता है, वह देश को शर्मिंदा करने वाला होगा।इससे दुनियाभर में देश की बदनामी होगी। कानून-व्यवस्था खराब होने की स्थिति बन सकती है।अलग-अलग रिपोर्ट्स का हवाला देकर कहा गया है कि कई किसान गणतंत्र दिवस की परेड में खलल डालने के लिए लाल किले तक पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। किसान नेताओं का क्या कहना है? किसान नेताओं का कहना है कि 26 जनव...
आंदोलन का 51वां दिन:केंद्र और किसानों के बीच आज 10वें दौर की बातचीत, किसान नेता बोले- सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं
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आंदोलन का 51वां दिन:केंद्र और किसानों के बीच आज 10वें दौर की बातचीत, किसान नेता बोले- सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं

किसान आंदोलन का आज 51वां दिन है। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच आज 10वें दौर की बातचीत होनी है। बताया जा रहा है कि किसानों और सरकार के बीच यह आखिरी मीटिंग हो सकती है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार के साथ बैठक जरूर कर रहे हैं, लेकिन हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है। हम सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं। साथ ही हमारी फसलों को MSP की कानूनी गारंटी मिले। कृषि कानूनों पर किसानों से चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 12 जनवरी को 4 एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई गई थी। 14 जनवरी यानी दो दिन बाद ही कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस ले लिया। अब कमेटी 19 जनवरी को किसानों के साथ पहली बैठक कर सकती है। किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा, ‘कृषि कानून संसद में पास हुए हैं और सरकार जानती है कि इन कानूनों को कोर्ट निष्प्रभावी नहीं कर सकता। जो किसान 28 दिसंबर से दिल्ली...
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से मान अलग:किसानों से बातचीत के लिए बनी कमेटी से भूपिंदर सिंह ने नाम वापस लिया, बोले- किसानों के साथ हूं
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सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से मान अलग:किसानों से बातचीत के लिए बनी कमेटी से भूपिंदर सिंह ने नाम वापस लिया, बोले- किसानों के साथ हूं

कृषि कानूनों पर किसानों से बातचीत के लिए 2 दिन पहले बनाई गई कमेटी से भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम वापस ले लिया है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह ने कहा कि वो किसानों के साथ हैं। फैसले की वजह बताने के लिए उन्होंने एक प्रेस रिलीज जारी की है। भूपिंदर सिंह ने कहा, 'चार लोगों की कमेटी में मुझे जगह दी गई, इसके लिए मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं। लेकिन, एक किसान और यूनियन लीडर होने के नाते आम लोगों और किसानों की आशंकाओं को देखते हुए, मैं इस कमेटी से अलग हो रहा हूं। मैं पंजाब और किसानों के हितों से समझौता नहीं कर सकता हूं। इसके लिए मैं किसी भी पद को कुर्बान कर सकता हूं और हमेशा पंजाब के किसानों के साथ खड़ा रहूंगा।' कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इसमें भूपेंद्र सिंह मान के अलावा इंटर...
किसान आंदोलन का 49वां दिन:किसान आज कानूनों की कॉपी जलाएंगे; हेमा मालिनी बोलीं- प्रदर्शनकारियों को तो मुद्दा ही पता नहीं
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किसान आंदोलन का 49वां दिन:किसान आज कानूनों की कॉपी जलाएंगे; हेमा मालिनी बोलीं- प्रदर्शनकारियों को तो मुद्दा ही पता नहीं

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 49वां दिन है। प्रदर्शनकारी आज कृषि कानूनों की कॉपी जलाएंगे। इस बीच भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा है कि जो प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें तो खुद पता नहीं कि वे क्या चाहते हैं और कृषि कानूनों में दिक्कत क्या है? इससे पता चलता है कि वे किसी के कहने पर प्रदर्शन कर रहे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी। साथ ही बातचीत से मुद्दा सुलझाने के लिए 4 एक्सपर्ट की कमेटी बना दी, लेकिन किसानों का कहना है कि कानून वापसी तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। किसानों ने कमेटी को सरकारी बतायाकिसान नेता राकेश टिकैत और डॉ. दर्शनपाल सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी के चारों सदस्य नए कृषि कानूनों का खुलेआम समर्थन करते रहे हैं। ये सरकारी लोग हैं। इसलिए आंदोलन खत्म नहीं होगा, बल्कि 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर परेड ...
कानून वापसी से कम पर राजी नहीं:किसान नेताओं ने कहा- सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी में हिस्सा नहीं लेंगे; कानून रद्द नहीं होने तक घर वापसी नहीं
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कानून वापसी से कम पर राजी नहीं:किसान नेताओं ने कहा- सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी में हिस्सा नहीं लेंगे; कानून रद्द नहीं होने तक घर वापसी नहीं

कृषि कानूनों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चर्चा हुई। सरकार को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा कि सरकार इस मामले को हैंडल करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि कृषि कानूनों पर कुछ समय के लिए रोक लगाने में सरकार क्यों हिचकिचा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब भी अगर सरकार कानूनों पर रोक नहीं लगाती तो हम ऐसा कर देंगे। कोर्ट ने कमेटी के गठन का सुझाव दियासुनवाई में कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि फ़िलहाल एक कमेटी का गठन किया जा सकता है। जो इन कानूनों की समीक्षा करे और कमेटी की रिपोर्ट आने तक कानूनों को लागू न किया जाए। हालांकि सरकार की पैरवी कर रहे वकीलों ने इन कानूनों पर किसी भी तरह की रोक लगाए जाने का विरोध किया। उनका तर्क था कि जुलाई में लागू हुए इन कानूनों के चलते कई किसान पहले ही कॉन्ट्रैक्ट पर किसानी कर रहे हैं। ऐसे में कानूनों पर रोक लगाने का नुकसा...
अगली बैठक में भी समाधान पर सस्पेंस:किसान नेता बोले- हमेें पता है होना कुछ नहीं, सरकार को बेनकाब करने के लिए मीटिंग में जाएंगे
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अगली बैठक में भी समाधान पर सस्पेंस:किसान नेता बोले- हमेें पता है होना कुछ नहीं, सरकार को बेनकाब करने के लिए मीटिंग में जाएंगे

बीते शुक्रवार किसानों की सरकार के साथ बातचीत एक बार फिर से विफल रही। अब 15 जनवरी को किसान नेता 9वीं बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे। लेकिन इस बैठक को लेकर भी किसान नेताओं में कोई उत्साह नहीं है और करीब सभी किसान नेता ये मान रहे हैं कि अगली बैठक भी बेनतीजा ही रहने वाली है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब किसान नेताओं को इन बैठकों से समाधान की कोई उम्मीद ही नहीं है तो वे बैठक में शामिल ही क्यों हो रहे हैं? किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां इस सवाल पर कहते हैं, ‘शहीद भगत सिंह से भी ऐसे ही सवाल पूछे जाते थे कि जब आपको न्यायालय से न्याय मिलने को कोई उम्मीद नहीं है तो आप हर तारीख पर अदालत क्यों जा रहे हैं। तब भगत सिंह का जवाब होता था कि हम अदालत इसलिए जा रहे हैं ताकि पूरे देश की अवाम को अपनी आवाज पहुंचा सके। हम भी इन बैठकों में सिर्फ इसीलिए जा रहे हैं।’ इन बैठकों के बेनतीजा रह जान...
कृषि कानून रद्द करने की अर्जी:सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई; मजबूती से पक्ष रखने के लिए किसानों ने 500 जत्थेबंदियों का डेटा बनाया
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कृषि कानून रद्द करने की अर्जी:सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई; मजबूती से पक्ष रखने के लिए किसानों ने 500 जत्थेबंदियों का डेटा बनाया

किसान आंदोलन का आज 47वां दिन है। नए कृषि कानून रद्द करने की अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। किसानों ने रविवार को 500 जत्थेबंदियों का डेटा तैयार किया और वकील प्रशांत भूषण से 3 घंटे चर्चा चली। कोर्ट को बताया जाएगा कि आंदोलन में सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि देशभर के किसान संगठन शामिल हैं। नुकसान समेत हर बात कोर्ट को बताएंगेकिसान संगठनों नए कानूनों की वजह से होने वाले नुकसान के बारे में कोर्ट को बताएंगे। एक-एक बात बारीकी से बताई जाएगी। यह भी बताएंगे कि किस तरह से उन्हें आंदोलन करने पर मजबूर किया गया। इन तीनों कानूनों के बारे में कैसे मजबूती से पक्ष रखा जाए, इस पर भी कई सीनियर वकीलों से चर्चा हुई। सुप्रीम कोर्ट में अब तक16 दिसंबर: कोर्ट ने कहा- किसानों के मुद्दे हल नहीं हुए तो यह राष्ट्रीय मुद्दा बनेगा।6 जनवरी: अदालत ने सरकार से कहा- स्थिति में कोई सुधार नहीं, किसानो...
किसान आंदोलन का 46वां दिन:हरियाणा में मुख्यमंत्री का विरोध करने जा रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे, वॉटर कैनन चलाई
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किसान आंदोलन का 46वां दिन:हरियाणा में मुख्यमंत्री का विरोध करने जा रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे, वॉटर कैनन चलाई

किसान आंदोलन का रविवार (10 जनवरी) को 46वां दिन है। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अब भी केंद्र सरकार से दूरी बनाए हुए हैं। इस बीच, हरियाणा के करनाल में उस समय हंगामा हो गया, जब कैमला गांव में किसान मुख्यमंत्री मनोहर लाल की रैली के विरोध में जाने लगे। पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी। दरअसल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर करनाल के कैमला गांव में किसान महापंचायत रैली करने वाले हैं। प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। यहां गढ़ी सुल्तान के पास पुलिस ने नाका लगा रखा था। यहां आगे बढ़ रहे किसानों को रोका गया। जब वे नहीं माने तो पुलिस ने लाठियां भी चलाईं। दिल्ली में किसानों की बैठकदिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों का संयुक्त मोर्चा एक ...
किसान आंदोलन में खालिस्तान के समर्थन का आरोप, भिंडरावाला की तारीफ करने वाली किताबें बांटी गईं
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किसान आंदोलन में खालिस्तान के समर्थन का आरोप, भिंडरावाला की तारीफ करने वाली किताबें बांटी गईं

किसान नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन को बदनाम करने के लिए केंद्र सरकार की साजिश हैकिसान नेता जगदीप सिंह ओलख ने कहा कि अगर ऐसा कुछ हुआ है तो ऐसे लोग यहां से हटाए जाएंगे कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को 43 दिन बीत चुके हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई नौ दौर की बातचीत बेनतीजा ही रही है। लेकिन, इन सबके बीच किसान आंदोलन पर विवादों का साया भी बढ़ता जा रहा है। आरोप लग रहे हैं कि इसमें खालिस्तान मूवमेंट से जुड़े कई संगठन एक्टिव हैं जो आंदोलन के बहाने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ा रहे हैं। हालांकि, किसान नेता ऐसे आरोपों को भाजपा और केंद्र सरकार की साजिश बता रहे हैं। पगड़ी वितरण कार्यक्रम में खालिस्तानी साहित्यसिंघु बॉर्डर पर बुधवार को मुफ्त पगड़ी वितरण कार्यक्रम किया गया। इसमें आंदोलन में शामिल पंजाब के किसानों को दस्तार बांधी जानी थी। लेकिन, इसके साथ ही वहां लगे ...