नईदिल्ली। दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर जारी सियासी गहमागहमी का मसला शीर्ष अदालत में पहुंच गया है। दिल्ली में सरकार बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि दिल्ली में कब तक निलंबित रहेगी विधानसभा, कोर्ट ने 5 हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अब तक दिल्ली में राष्ट्रपति शासन क्यों लागू है और सरकार बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने ये भी पूछा है कि क्या चुने हुए विधायक घर पर बैठे हैं? आम आदमी पार्टी की अर्जी पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने पूछा कि केंद्र सरकार दिल्ली में सरकार बनाने के लिए क्या कर रही है? अदालत ने सरकार से इस अर्जी को आप के नजरिये से नहीं बल्कि दिल्ली के एक नागरिक के नजरिये से देखने को कहा है जो यह मानता है कि उसने जिस प्रतिनिधि को चुना है वो सैलरी तो लेता है, लेकिन काम नहीं कर रहा है। पीठ ने पूछा कि क्या चुने हुए जनप्रतिनिधि बिना काम के घर पर ही बैठे रहें? जजों ने कहा कि अगर विचार करेंगे तो हम याचिका को निरस्त कर देंगे। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि आखिर कब तक केंद्र सरकार दिल्ली विधानसभा को निलंबित कर रख सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सलाह दी है कि उसे दिल्ली में सरकार बनाने के लिए ठोस राय रखनी चाहिए।
निलंबित है दिल्ली की विधानसभा
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने 49 दिनों की सरकार चलाने के बाद 14 फरवरी को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से दिल्ली की विधानसभा निलंबित है। कई बार चर्चा उड़ी कि बीजेपी दूसरी पार्टियों के कुछ विधायकों की मदद से सरकार बना सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ठोस राय लेकर कोर्ट आए सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सलाह दी है कि उसे दिल्ली में सरकार बनाने के लिए ठोस राय रखनी चाहिए। जस्टिस एच एल दत्तु की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र सरकार से पांच हफ्ते में दिल्ली में सरकार बनाने या चुनाव को लेकर किसी समारात्मक परिणाम के साथ अदालत में आने को कहा है। अदालत ने इस मामले में बने गतिरोध को खत्म करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पांच हफ्ते तक के लिए टाल दी है। आदालत ने उम्मदी जाहिर की है कि केंद्र सरकार सकारात्मक परिणाम के साथ कोर्ट में आएगी।