Wednesday, September 24

10 अगस्त को दोपहर बाद बंधेगी राखी, जानिए रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त

1268_bउज्जैन। श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पूर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 10 अगस्त रविवार का है। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का योग बन रहा है, जिसके कारण दोपहर बाद रक्षाबंधन पर्व शुरू होगा और बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. श्यामनारायण व्यास के अनुसार 10 अगस्त की सुबह 6.05 बजे सूर्योदय से रात 11.38 बजे तक पूर्णिमा तथा सूर्योदय से रात 10.39 बजे तक श्रवण नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जिसमें राखी बांध सकते हैं, लेकिन 9 अगस्त की अलसुबह 3.35 बजे से 10 अगस्त की दोपहर 1.37 बजे तक भद्रा काल रहेगा। चूंकि शास्त्रों में भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना गया है। इसलिए 10 अगस्त को दोपहर बाद ही राखी बांधना शास्त्र सम्मत रहेगा। इस वजह से दोपहर 1.37 बजे भद्रा काल समाप्त होने के बाद रात 10.39 तक रक्षाबंधन पर्व मनाया शुभ रहेगा। इस प्रकार राखी बांधने के लिए दिन भर में कुल 9 घंटे 2 मिनट का मंगल मुहूर्त रहेगा।
भद्रा में इसलिए नहीं बंधती बंधती राखी
ज्योतिष में कुल 11 करण हैं। इनमें 4 स्थिर व 7 चर होते हैं। इनमें भद्रा भी एक करण है, जो शुभ नहीं है। प्रत्येक मास के एक पक्ष में 4 बार भद्रा करण आता है। भद्रा को दरिद्र माना गया ह। इसलिए भद्रा काल में विवाह, रक्षाबंधन सहित कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते।
महिलाएं करें श्रवण पूजन
रक्षाबध्ंान केदिन श्रवण रक्षत्र के समय महिलाएं परंरानुसार घर के बाहर गाय के गोबर व लाल गेरू से श्रवण कुमार की आकृति बनाकर पूजन कर उन पर रक्षासूत्र अर्पित करें। सुख-समृद्धि के लिए यह पूजन किया जाता है।
रक्षाबंधन की विधि
रक्षाबंधन के दिन महिलाएं एवं पुरोहित सुबह स्नान करके सूर्य को तांबे के बर्तन से अध्र्य अर्पित करें। दोपहर बाद सूती, रेशमी या पीले कपड़े में चावल, केशर, चंदन, सरसों व दूर्वा रखकर एक पोटली बनाएं और उसे एक ताबें के लोटे में रखकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दें। फिर लाल कलावा लेकर गंगाजल, हल्दी व केशर से पवित्र करें तथा अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए घर के मुख्य द्वारा पर बांध दें। इसके बाद बहनें भाइयों को कुल परंपरानुसार आरती कर तिलक निकालें तथा मिठाई खिलाकर दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बांधे तथा शगुन स्वरूप रूमाल इत्यादि भेंट करें। भाई भी अपनी शक्ति के अनुसार बहनों को उपहार दें। इस प्रकार रक्षा बंधन का पर्व मनाने से घर में खुशहाली आती है। भारत मे एक स्थान ऐसा भी है, जहां भगवान को शहर का राजा माना जाता है और उन्हीं को सबसे पहले रक्षा सूत्र यानी राखी अर्पित की जाती है, इसके बाद ही शहरवासी राखी का त्योहार मनाते हैं। यहां हम बात कह रहे हैं मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन की। उज्जैन में भारत के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र दक्षिणमुखी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। उज्जैन के लोग महाकाल को अपना राजा मानते हैं। बाबा महाकाल को उज्जैन का राजाधिराज भी कहा जाता है। यहां किसी भी त्योहार की शुरूआत सबसे पहले महाकाल मंदिर से ही होती है। इसके बाद ही शहरवासी त्योहार मनाते हैं। रक्षाबंधन पर भी पहली राखी भगवान महाकाल को बांधी जाती है, यह रोज सुबह होने वाली भस्मारती में भगवान को राखी अर्पित की जाती है।