नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2014 में अब सिर्फ नौवें यानी आखिरी दौर में 41 सीटों पर वोटिंग बची है। लेकिन इलेक्शन कमिशन के निष्पक्ष मतदान कराए जाने के तमाम दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। मतदान के बाद आम मतदाता की सुरक्षा भी तय करने में कई राज्य सरकार फेल साबित हुईं। देश में चुनाव के दौरान किस तरह से पैसे, शराब, नशीले पदार्थ बांटे गए इसका अंदाजा चुनाव आयोग के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। आम चुनाव के आठवें दौर तक देश भर में करीब 300 करोड़ रूपए नकद जब्त किए जा चुके हैं। इसके अलावा 2 करोड़ 10 लाख लीटर शराब, एक क्विंटर के करीब हीरोइन, 50 किलो से ज्यादा भांग भी पकड़ी गई है। इन आंकड़ों से साफ है कि मतदाताओं को पैसे और नशीले पदार्थ के जरिए लुभाने का सिलसिला अभी रूका नहीं है।
यह हालत तब है जब इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह ताकत दी है कि वह उन उम्मीदवारों की उम्मीदवारी खारिज कर सकता है जिन्होंने चुनावी खर्च का गलत ब्योरा दिया है। चुनाव आयोग इस समय 2000 ऐसे उम्मीदवारों के मामले की जांच कर रहा है, जिन पर हाल के सालों में वास्तविक खर्च के कम खर्च दिखाने का आरोप है। यही नहीं मतदान के बाद प्रशासन और पुलिस मतदाताओं को सुरक्षा देने में नाकाम रही है। यूपी, बिहार और जम्मू कश्मीर में मतदान की कीमत लोगों को जान देकर या पिटकर चुकानी पड़ी है।
बहिष्कार नहीं किया तो बेंत से पीटा, उतरवाए कपड़े और कहा गद्दार: यहां भी तमाम सुरक्षा, तामझाम के बावजूद निर्भय होकर मतदान करने के दावे खोखले साबित हुए। राज्य के कुपवाड़ा इलाके में जिन लोगों ने मतदान किया उनमें से कई लोगों को जमकर पीटा गया, सार्वजनिक तौर पर कपड़े उतारे गए और उन्हें गद्दार घोषित कर दिया गया। इन लोगों का कसूर यही था कि उन्होंने अलगाववादियों के उस फरमान को अनसुना कर दिया था, जिसके तहत घाटी के वोटरों को मतदान न करने के लिए कहा गया था। कुपवाड़ा के एक अधेड़ उम्र के शख्स को मतदान में हिस्सा लेने की वजह से बेंत से मारा गया और कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया। सोपोर और बारामूला में बीते बुधवार को मतदान में हिस्सा लेने वाले लोगों को भी अलगावादियों के गुस्से का सामना करना पड़ा।