बाड़मेर। भारत-पाक सीमा पर पेट्रोलियम तेल के अथाह भंडार हैं, इसकी खोज भी हो चुकी है, लेकिन सुरक्षा कारणों के नाम से इस भंडार में से दोहन नहीं किया जा रहा हैं। वहीं, दूसरी तरफ सीमा के उस पार पाकिस्तान में सीमा के निकट ही तेल का जमकर दोहन किया जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान के लगातार दोहन का असर भारत की सीमा में रहे भंडारों पर पड़ रहा है। भारत के सीमा क्षेत्र में यह खोज नब्बे के दशक में की गई थी और उसमें तेल के भंडारों का पता चला था। इसके बाद बाड़मेर के अन्य क्षेत्रों में खोज शुरू की गई और अब उनमें से ही दोहन किया जा रहा है।
भारत पाक सीमा पर नब्बे के दशक में बाड़मेर जिले की गडरारोड तहसील के सूंदरा गांव क्षेत्र में यह खोज की गई थी। भारत पाक की अंरराष्ट्रीय सीमा पर लगे पिलर संख्या 786 के पांच सौ मीटर की परिधि में तेल खोज के लिए कुआं खोदा गया था, उसमें सफलता मिली थी। उसके आसपास दो-चार स्थानों पर और भी ड्रिलिंग की गई थी, वहीं भी भंडार होने के संकेत मिले थे। दोहन की बारी आई तो केंद्र सरकार ने सुरक्षा कारणों से यहां काम आगे बढ़ाने पर रोक लगा दी थी।
चीन की मदद से पाकिस्तान निकाल रहा तेल
गुप्तचर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत-पाक सीमा के ठीक उस पार पिलर संख्या 786 के सामने पाक के सिंध सूबे के बिस्मिल्लाह और खारा इलाके में पेट्रोलियम तेल निकाला जा रहा है। इसमें पाक सरकार चीनी कंपनी का सहयोग ले रही है। अगर कहा जाए कि भारत की खोज का फायदा पाकिस्तान उठा रहा है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। बाड़मेर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच संख्या 15 से पश्चिम की ओर बाहरी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगी है। इसके चलते सीमावर्ती क्षेत्र में विदेशी कंपनियां या विदेशी नागरिक बिना इजाजत नहीं जा सकते। सुरक्षा कारणों से की गई इस व्यवस्था के कारण खनिज पदार्थों की खोजबीन नहीं हो पा रही है। केयर्न इंडिया के अंतरिम सीईओई इलांगो ने पिछले दिनों कहा था कि केयर्न ने राजस्थान में मौजूद तेल संसाधनों की रिकवरी और खोज पर ध्यान दिया, जिसके परिणामस्वरूप एक अरब बैरल तेल के भंडार यहां हैं। वे यह भी कह चुके हैं कि राजस्थान के तेल भंडार विश्वस्तीय हैं। गहरा के पास तेल के भंडार जैसलमेर बेसिन के हैं और पाकिस्तान में इसे सिंध प्रांत में सुलेमान बेसिन के नाम से जाना जाता है। दोनों ही इंडस बेसिन में आने वाले राजस्थान सेल्फ के हैं, जो कि किसी जमाने में समुद्र का हिस्सा रहे थे। जैसलमेर बेसिन का झुकाव पश्चिम की ओर है, जमीन के नीचे जो भी तेल है, वो पाकिस्तान की ओर माइग्रेट हो रहा है। हमारे यहां के स्ट्रक्चर अच्छे हैं, लेकिन ऑयल माइग्रेट के कारण यहां गैस ही ज्यादा मिल रही है।