Wednesday, September 24

हमारे देश के नेता कोई 10वीं, 12वीं पास तो किसी ने नहीं देखा स्कूल

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नईदिल्ली। इन दिनों देश में चुनाव का माहौल है। देश में राजनीति की दिशा और दशा भी बदल रही है। कभी बुजुर्गों का क्षेत्र कही जाने वाले राजनीति में अब युवाओं का प्रतिशत भी बढ़ रहा है। हर पार्टी में युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। राजनीति में आने वाले ये युवा भी पूरे उद्देश्य के साथ इस क्षेत्र में कदम रख रहे हैं। ना सिर्फ ये पढ़े-लिखे हैं बल्कि किसी क्षेत्र में विशेष डिग्री के साथ अपनी योग्यता भी सिद्ध कर रहे हैं। हालांकि कुछ वरिष्ठ राजनेता भी उच्च शिक्षित हैं, जिनमें देश के वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, बसपा सुप्रीमो मायावती शामिल हैं। दूसरी ओर भारतीय राजनीति में कई ऐसे चर्चित चेहते भी हैं जो बेहद कम पढ़े-लिखे हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं तो ऐसे हैं जो हाईस्कूल तक पास नहीं हैं। चुनाव के दिनों में ये नेता जनता से विकास के नाम पर बड़े-बड़े वादे कहते हैं, लेकिन उनकी शिक्षा देखकर लगता नहीं कि वे इन सब बातों को बारीकी से समझते भी होंगे।
राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकीं राबड़ी देवी की शादी महज 14 साल की उम्र में हो गई थी। उन्होंने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। ना शादी से पहले और ना ही बाद में। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से शादी के बाद वो उनकी पत्नी और उनके बच्चों की मां की भूमिका में ही रहीं। कोई अनुभव ना होने और अनपढ़ होने के बावजूद 1997 में लालू उन्हें राजनीति में लेकर आए। इसके बाद राबड़ी देवी ना सिर्फ बिहार की मुख्यमंत्री बनीं, बल्कि अब वो बिहार विधान परिषद की सदस्य भी हैं।
गुलजार सिंह: पंजाब से ताल्लुक रखने वाले नेता गुलजार सिंह कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई भी पूरी नहीं की है। 1983 में गांव का सरपंच बनने से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाल गुलजार पंजाब में सुखविंदर सिंह बादल मंत्रीमंडल में शामिल रहे हैं।
फूलन देवी: कभी चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय बन चुकीं फूलन देवी भी सांसद रह चुकी हैं। बचपन में यौन शोषण का शिकार होने के बाद फूलन ने बहुत छोटी उम्र में ही बंदूक उठाई और डकैत बन गई थीं। वो कभी स्कूल नहीं गईं। सरेंडर और गिरफ्तारी के बाद जब फूलन पे रोल पर छूटीं तो उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली और मिर्जापुर से सांसद चुनी गईं।
विजयकांत: अभिनेता से नेता बने विजयकांत की गिनती भी कम पढ़े-लिखे राजनीतिज्ञों में होती है। 2011 में तमिलनाडु में राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज कर उन्होंने राजनीति में कदम रखा। विजयकांत ने सिर्फ 12वीं तक पढ़ाई की है। घर की स्थिति के कारण वो आगे की पढ़ाई नहीं कर सके क्योंकि उन्हें अपने पिता की चावल की मिल में काम में उनका हाथ बंटाना पड़ता था।
करूणानिधि: तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करूणानिधि का नाम भी उन नेताओं की लिस्ट में शुमार है जो कम पढ़े लिखे हैं। राजनीति में सफल करूणानिधि कभी कॉलेज नहीं गए। यहां तक कि 10वीं क्लास के बाद उन्होंने पढ़ाई ही छोड़ दी थी। हालांकि, लेखन में उनकी गहरी रूचि थी। उन्होंने कई तमिल फिल्मों के लिए लेखन किया है।
गोलमा देवी: अनपढ़ होने के बावजूद राजस्थान विधानसभा का सदस्य बनने वालीं गोलमा देवी कुछ समय पहले सुर्खियों में आई थी। वो कभी स्कूल नहीं गईं। अपने पति किरोड़ी लाल मीणा के प्रभाव के चलते गोलमा देवी ने चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में वो अपना नाम और शपथ तक पढ़ नहीं पाई थीं।
जयललिता: कभी अभिनेत्री रहीं जयललिता आज राजनीति की दुनिया में बड़ा नाम हैं, लेकिन उनका बचपन काफी मुश्किलों में बीता। मात्र दो साल की थीं जयललिता जब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। पढ़ाई में होशियार होने के बावजूद उन्होंने करियर बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया क्योंकि वे अपनी मां का सहारा बनना चाहती थीं। बता दें कि जयललिता को कॉलेज में एडमिशन के लिए स्कॉलरशिप भी मिली थी। जफर शरीफ: रेलवे मिनिस्टर रह चुके जफर शरीफ ने सिर्फ स्कूली शिक्षा ली है। वो कभी कॉलेज नहीं गए। जफर ने अपने करियर की शुरूआत बतौर ड्राइवर की थी। वे तब कांग्रेस अध्यक्ष के ड्राइवर थे। धीरे-धीरे उन्होंने राजनीति को समझा और फिर इस क्षेत्र में कदम रखा।