नईदिल्ली। बीजेपी के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने उस घटना पर सफाई दी है कि जिसमें उन्होंने एक मौलाना द्वारा दी गई टोपी पहनने से इनकार कर दिया था। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि मैं सिर्फ फोटो खिंचवाने या दिखावे के लिए मौलाना द्वारा दी गई टोपी नहीं पहन सकता था। मैं सभी धर्मों का आदर करता हूं और सिर्फ दिखावा कर लोगों की आंखों में धूल नहीं झोंकना चाहता। मोदी ने और भी कई मुद्दों पर इस इंटरव्यू में अपनी बात रखी। टोपी पहनना ही एकता का प्रतीक है तो मैंने कभी भी महात्मा गांधी, सरदार पटेल या पंडित नेहरू को टोपी पहने नहीं देखा। दरअसल, तुष्टीकरण की नीति भारतीय राजनीति में जगह बना चुकी है। मेरा काम सभी धर्मों और परंपराओं का आदर करना है। मैं अपने धर्म का पालन करता हूं और अन्य का सम्मान। इस वजह से मैं टोपी पहनकर फोटो खिंचवाकर लोगों की आंख में धूल झोंकने का पाप नहीं कर सकता। यदि कोई किसी की टोपी पहनते हैं, उनके हाथ में कुरान होने पर भी कंप्यूटर भी होना चाहिए। मैंने किसी को पपी नहीं कहा। मैं तो संवेदना प्रकट कर रहा था। यह भी कहा जाता है कि कोई चींटी मस्ती है तो दर्द होता है। अब, कोई कहेगा कि मैंने किसी आदमी को चींटी कह दिया। यह उनकी समस्या है।
लोग कुत्ते की वफादारी का उदाहरण देते हैं। यदि मेरी वफादारी से देश का भला होता है तो मैं इस बात से खुश हूं। मुझ पर देश बांटने का आरोप लगाते हैं। जबकि देश को उन लोगों ने नुकसान पहुंचाया जो जाति और तुष्टीकरण के आधार पर राजनीति करते हैं। राहुल कहते हैं कि मोदी गंजे को भी कंघा बेच सकते हैं। मैंने किसी को कंघा नहीं बेचा। मैंने तो सिर्फ चाय बेची है। राहुल की टिप्पणी दिखाती है कि कांग्रेस को डर है कि मोदी यह भी कर सकते हैं। उनका नारा होना चाहिए? हर हाथ लूट, हर होंड झूठ। राहुल कहते हैं कि किसानों से जमीन लेकर औद्योगिक घरानों को कौड़ी के दाम पर दे दी। यह सरासर झूठ है। यह आरोप राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित हैं। टाटा के नैनो प्रोजेक्ट सहित किसी भी उद्योग को जमीन मुफ्त में नहीं दी है। विकास के दावे झूठे हैं? आरोप लगाने वालों को पता होना चाहिए कि यह दावे पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश या राजस्थान में तो चल जाएंगे लेकिन गुजरात में नहीं। दावे फर्जी होते तो गुजरात में बार-बार जनता हमें नहीं जिताती।
केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा कहते हैं कि भाजपा नरेंद्र मोदी की पब्लिसिटी पर 10 हजार करोड़ रूपए खर्च किए। इसमें 90 प्रतिशत पैसा ब्लैकमनी है। 10 हजार करोड़ रूपरू बहुत होते हैं। सरकार के पास भी एजेंसियां हैं। उन्हें यह पूछना चाहिए कि यह किसका पैसा है। कहां से आया और कहां खर्च हुआ। यदि आरोपों का कोई आधार है तो शर्मा चुनाव आयोग को पत्र लिखें। उन्हें एनफोर्समेंट डायरेक्टर को पत्र लिखना चाहिए। ताकि चिट्ठा सामने आ सके कि भाजपा ने प्रचार में कितना खर्च किया है। यदि आचार संहिता रोकती है तो मैं खुद चुनाव आयोग को लिखूंगा कि सोनिया गांधी की सरकार जांच कराना चाहती है तो मुझे अच्छा लगेगा। यह जांच 30 दिन में पूरी हो जानी चाहिए। ये सरकार सभी कमों में विफल रही है।