Monday, September 1

ऑपरेशन थियेटर में म्यूजिक से लेकर मजाक तक, दो सर्जन ने बताई 7 दिलचस्प बातें

देश के दो फेमस सर्जन ने बताया है कि ऑपरेशन रूम में क्या-क्या होता है। डॉक्टर्स डे पर पढ़िए ऑपरेशन थियेटर की ये अनसुनी कहानी।

“हां, हमें तो मरीज को खुश करने के लिए नाचना भी पड़ता है…। जिसकी सर्जरी करनी उसके लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता है, मुश्किल है लेकिन मजेदार भी और…।” पर स्पेशल स्टोरी में हमने सर्जन से बातचीत की। एक हैं कैंसर सर्जन और दूसरे हार्ट सर्जन। दोनों ही सर्जन ने पत्रिका के साथ अपने ऑपरेशन रूम जर्नी की रोचक बातें बताई और अनुभव शेयर किया। अब आपको ये पता चल जाएगा कि सर्जरी से पहले डॉक्टर क्या करते हैं, ऑपरेशन रूम रूल्स क्या होते हैं, क्या सच में ऑपरेशन थियेटर में म्यूजिक बजता है और क्या वाकई सर्जरी से पहले डॉक्टर दो पैग लगा के जाते हैं…?

करीब 20 साल से कैंसर की सर्जरी कर रहे डॉ. जयेश शर्मा कहते हैं, कैंसर की कई सर्जरी 8-10 घंटे तक चलती है। इतना लंबे समय तक म्यूजिक नहीं चलता है। हां, कई बार मूड को लाइट करने के लिए ऐसा किया जाता है। ये सच है। हालांकि, ये तय नियम नहीं है, ये सबकुछ डॉक्टर व मरीज पर निर्भर करता है। वहीं, 11 साल के अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव सिंघल कहते हैं, म्यूजिक अधिकतर वैसे केस में चलाया जाता है जिसमें मरीज को पूरी तरह से बेहोश नहीं किया जाता है। ये सही होता है। ये अधिकतर ब्रेन की सर्जरी में यूज होता है। क्योंकि, ब्रेन की सर्जरी करते वक्त ये ध्यान रखना होता है कि मरीज की सुनने वाली नर्व को नुकसान ना पहुंचे।

डॉ. गौरव कहते हैं, मरीज और डॉक्टर के बीच भरोसा होना बहुत जरूरी है। मेरा काम ये रहता है कि मरीज को खुद पर भरोसा दिला सकूं। हम बातचीत आदि के सहारे मरीज को सर्जरी के लिए तैयार करते हैं। अगर मरीज भरोसा नहीं कर पा रहा है तो वैसे केस में मैं सर्जरी करना नहीं चाहता हूं।

वहीं, डॉ. जयेश का कहना है, कैंसर और ऊपर से सर्जरी; ऐसे में मरीज का डरना स्वभाविक है। मैं पहले मरीज के साथ कैजुअल बातचीत करता हूं। उनके साथ रिश्ता जोड़ता हूं। ये भरोसा दिलाता हूं कि मैं उनकी सर्जरी वैसे ही करूंगा जैसा कि मैं अपने परिवार के किसी सदस्य की करता। साथ ही ये भी बताता हूं कि देखो भाई/ बहन सर्जरी फेल होने के चांसेज 1 प्रतिशत है और अगर कैंसर की सर्जरी नहीं कराए तो बचने के चांसेज 1 प्रतिशत भी नहीं। इस तरह के सवाल से भी उनको खुद डिसीजन लेने के लिए तैयार करता हूं।

डॉ. जयेश कहते हैं, मरीज का चेहरा देखकर बहुत कुछ समझ आता है। ऐसे में एक तरीका है कि उसको हंसाया जाए। मैं बोलता हूं भाई मेरे डरावने चेहरे से मत डरो, चलो मैं मास्क डाल लेता हूं। देखो, भाई कुछ गलत नहीं होगा, मेरे साथ ये डॉक्टर हैं और सिस्टर भी हैं जो आपका ख्याल रखेंगी। अच्छा चलो यार नाच भी देता हूं, खुश हो जाओ।

इस सवाल पर डॉ. जयेश कहते हैं, सर्जरी से पहले दो पैग लगाने जैसी बातें मैंने भी सुनी है। मगर सच में 20 साल के करियर में किसी को करते नहीं देखा हूं। वास्तव में ये सब सुनी-सुनाई अफवाही बाते हैं। ऐसा कुछ नहीं होता है। हां, हम सर्जरी से पहले हल्का खाते हैं। इस बात का अवश्य ध्यान रखते हैं।

डॉ. जयेश कहते हैं, ऑपरेशन रूम का महौल लाइट ही रखा जाता है। क्योंकि, टेंशन के साथ काम सही नहीं हो सकता है। उस वक्त हंसी-मजाक, हल्की बातचीत सबकुछ नॉर्मल ही रहता है। हालांकि, मामला बहुत गंभीर है तो ये बदल भी सकता है।

ऑपरेशन रूम के रूल्स को लेकर दोनों डॉक्टर ने बताया कि कुछ लिखित या तय नियम नहीं होते हैं। हां, हाइजीन का ध्यान रखा जाता है। हम हैप्पी फेस के साथ मरीज के सामने जाते हैं। अंगूठी, घड़ी जैसी चीजों को नहीं पहनते हैं। पूरे भरोस के साथ मरीज का ऑपरेशन करते हैं।

कैंसर सर्जन डॉ. जयेश कहते हैं, मैंने 27-28 की उम्र में पहली सर्जरी की थी। उस वक्त नर्वस था लेकिन अपने सीनियर व गुरू को याद किया। खुद के सीखे स्किल्स पर भरोसे के साथ सर्जरी की और वो सफल भी रहा। वहीं, डॉ. गौरव कहते हैं, साथ में जब गुरू जैसे सीनियर हो तो डर नहीं लगता। बल्कि, इस बात की जिम्मेदारी रहती है कि पहली सर्जरी है जो कुछ सीखा हूं उसे सही तरीके करते दिखाना है। आज उस पहले केस से यहां तक का सफर तय कर पाए हैं।