
हांगकांग और सिंगापुर के बाद भारत में तेजी से पैर पसार रहे कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के जहां अबतक 257 मामले सामने आ चुके है। हालात ये हैं कि, बीते 24 घंटों के दौरान से सटे छत्तीसगढ़ में भी कोरोना संक्रमित केस सामने आया है। इऐसे में कोरोना के संभावित खतरे को मद्देनजर रखते हुए एक बार फिर एमपी में भी अलार्मिंग घंटी बजने लगी है। इसी के चलते सूबे के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजिकल लैब को एक्टिव कर लिया गया है। इसके अलावा जेएच अस्पताल, जिला अस्पताल मुरार, सिविल हॉस्पिटल में कोरोना से संबंधित जरूरी इंतजाम किए कर लिए गए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि, जल्द ही प्रशासन की ओर से इस संबंध गाइडलाइन भी जारी कर दी जाएगी।
देश में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी आ गई है। बीते 24 घंटे के सामने आए अपडेट के मुताबिक, देशभर में कोरोना के 257 नए मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना का यह नया वेरिएंट जेएन-1 और जेएफ-7 की भारत मे एंट्री के साथ स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। डब्ल्यूएचओ ने पहले ही जेएन-1 को वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया है। लिहाजा, मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों को अलर्ट किया गया है। अस्पताल में जरूरी स्वास्थ्य मशीनरी, दवाएं समेत अन्य संसाधनों को अपडेट किया गया है।
हर स्थिति से निपटने की तैयारी
साथ ही, सबसे जरूरी वायरोलॉजिकल लैब भी तैयार की जा चुकी है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ के अनुसार, 2020 में कोविड के दौर ने सभी स्टाफ को वेल ट्रेंड किया है। अब वो कोविड वॉरियर्स बन चुके हैं। ऐसे में हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। हालांकि, अभी कोई गाइडलाइन सामने नहीं आई है। जैसे ही जरूरी गाइडलाइन मिलती है, उस हिसाब से इंतजामों को और बेहतर किया जाएगा।
अंचल का सबसे बड़ा अस्पताल की तैयारी पूरी
बता दें कि कोरोना के इन दोनों वेरिएंट की पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग होना अभी बाकी है। फिर भी महाराष्ट्र के मुंबई में कोरोना से दो लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है। GRMC के अधीन शासकीय जयारोग्य अस्पताल अंचल का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है। अंचल के सभी जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी मरीज यहां आते हैं।
जांच के लिए वायरोलॉजी लैब उपलब्ध
डॉक्टरों का कहना है कि, सिंगापुर व हांगकांग में फैले वायरस के जेएन 1 तथा एलएफ 7 वेरिएंट भारत में पहुंच चुका है। हालांकि इसकी पुष्टि के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है। डब्ल्यूएचओ ने पहले ही जेएन 1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित कर दिया है। ये वेरिएंट मौजूदा वैक्सीनेशन या पुराने संक्रमण से बनी इम्युनिटी को चकमा देने तक में सक्षम है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ की मानें तो मोनोवैलेंट बूस्टर से कुछ हद तक सुरक्षा मिल सकती है, लेकिन भारत में ये बूस्टर अभी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। देश में कोरोना के मरीज भले ही कम हैं, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियात के तौर पर फिर से अपना कोविड-19 डैशबोर्ड चालू कर दिया है।