Saturday, October 18

विदेश सचिव का खुलासा, भारत-पाक के बीच ट्रंप की मध्यस्थता की असली वजह आई सामने

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए तनावपूर्ण संघर्ष (India Pakistan Conflict) के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दावा की गई मध्यस्थता की असल वजह अब सामने आई है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि भारत और  बीच युद्धविराम (सीजफायर) की प्रक्रिया में अमेरिका की भूमिका को लेकर  दावे अतिशयोक्तिपूर्ण थे। मिस्री ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम का फैसला दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच सीधे संपर्क से हुआ, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।

अमेरिका ने किया हस्तक्षेप

हालांकि, कुछ सूत्रों ने दावा किया कि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ट्रंप प्रशासन को पाकिस्तान के संभावित परमाणु कदमों की जानकारी दी थी, जिसके बाद अमेरिका ने हस्तक्षेप किया। एक एक्स पोस्ट में दावा किया गया कि इस जानकारी ने ट्रंप को दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता करने पर मजबूर किया।

क्या थी ट्रंप की मध्यस्थता?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई 2025 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दावा किया था कि अमेरिका की मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान ने “पूर्ण और तत्काल युद्धविराम” पर सहमति जताई। ट्रंप ने इसे दोनों देशों की “सामान्य बुद्धि और महान बुद्धिमत्ता” का परिणाम बताया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी दावा किया कि उन्होंने और उपराष्ट्रपति जेडी वैंस ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 48 घंटे तक बातचीत की थी।

भारत ने खारिज किया दावा

भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि युद्धविराम का फैसला भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत का नतीजा था। विदेश सचिव मिस्री ने कहा, “पाकिस्तान के DGMO ने भारतीय DGMO से संपर्क किया और दोनों पक्षों ने शाम 5 बजे से सभी सैन्य गतिविधियों को रोकने पर सहमति जताई।”

पाकिस्तान का रुख और युद्धविराम उल्लंघन

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने युद्धविराम की पुष्टि की और कहा कि पाकिस्तान हमेशा क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहा है। लेकिन, युद्धविराम के कुछ घंटों बाद ही दोनों देशों ने एक-दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाया। भारत ने दावा किया कि पाकिस्तान ने जम्मू और श्रीनगर में ड्रोन हमले किए, जबकि पाकिस्तान ने भारत पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगाया।

कश्मीर मुद्दे पर भारत की स्थिति

भारत ने कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।” यह रुख 1972 के शिमला समझौते पर आधारित है, जिसमें दोनों देशों ने अपनी समस्याओं को द्विपक्षीय रूप से हल करने पर सहमति जताई थी।

ट्रंप के दावों पर भारत की नाराजगी

ट्रंप के बार-बार मध्यस्थता और कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप की पेशकश ने भारत में नाराजगी पैदा की है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि ट्रंप का कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव “बिल्कुल अनावश्यक” था और यह शिमला समझौते का उल्लंघन करता है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी कहा कि भारत ने कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और यह अमेरिका का रचनात्मक योगदान हो सकता है, लेकिन इसे मध्यस्थता कहना गलत है।

क्या है असल वजह?

सूत्रों के मुताबिक, भारत ने ट्रंप प्रशासन को पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के संभावित इस्तेमाल की आशंका से अवगत कराया था, जिसके बाद अमेरिका ने तुरंत हस्तक्षेप किया। यह खुलासा भारत की रणनीतिक चाल का हिस्सा माना जा रहा है, जिसने वैश्विक शक्तियों को इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए सक्रिय होने पर मजबूर किया। इस पर भारत ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा और कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत को प्राथमिकता देगा। इस बीच, दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए सोमवार को फिर से DGMO स्तर की बातचीत होने वाली है।