Monday, September 22

से चीन की फैक्ट्रियों पर लग रहे ताले, भारत फायदे में, अब अमेरिका के लोगों के हाथों में दिखेगा ‘मेड इन इंडिया’

डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीन पर लगाए गए टैरिफ  ने ऐसी चोट दी है, जिससे ड्रैगन कराह रहा है। ट्रंप टैरिफ से चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है। चीन में मजदूरों का विरोध-प्रदर्शन बढ़ रहा है। रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में अमेरिकी ऑर्डर बंद होने से वहां की फैक्ट्रियों पर ताला लग गया है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं और उनमें असंतोष बढ़ रहा है। इस वजह से चीन की फैक्ट्रियों में खूब हंगामा हो रहा है। लोग परेशान हैं और विरोध कर रहे हैं। इससे चीन में आशांति फैल गई है।

वहीं दूसरी तरफ  से भारत की बल्ले-बल्ले हो गई है। वाशिंगटन और बीजिंग के बीच छिड़े ट्रेड वॉर का सीधा फायदा भारत को मिलता हुआ दिख रहा है। अब जल्द ही अमेरिका में लोगों के हाथों में अधिकतर फोन मेड इन इंडिया  का बना दिखेगा। इसकी वजह है एपल अब अपना अधिकतर फोन भारत में ही बनाएगा और उसे अमेरिका भेजा जाएगा। एपल के सीईओ टिम कुक ने शुक्रवार को कहा कि कंपनी चीन अब अब अन्य देशों के लिए अपने डिवाइस तैयार करेगी। कुक ने कहा, जून तिमाही के दौरान हम ये उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी बाजार में ज्यादा बिकने वाले आइफोन भारत में बने होंगे। यानी अमेरिका में बिकने वाले एपल के प्रोडक्ट्स का कंट्री ऑफ ओरिजिन भारत होगा।

इंडिया डिस्पैच की रिपोर्ट में जेपी मॉर्गन  के विश्लेषण का हवाला देते हुए बताया गया है कि अगर एपल अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को पूरी तरह भारत में शिफ्ट कर देता है, तो वह अपने आइफोन की कीमतों को लगभग पहले जैसा ही बनाए रख सकता है। कॉस्ट ब्रेकडाउन के मुताबिक, चीन में असेंबल किया गया एक आइफोन 16 लगभग 938 डॉलर का पड़ता है जबकि भारत में प्रोडक्शन होने पर इसकी लागत करीब 1008 डॉलर होगी। यह महज 2 फीसदी की बढ़ोतरी है, जो अमरीका में मैन्युफैक्चरिंग में लागत 30 फीसदी तक बढ़ने की तुलना में काफी कम है।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के हुनान प्रांत के दाओ काउंटी से लेकर सिचुआन के सुईनिंग शहर और इनर मंगोलिया के टोंगलियाओ शहर तक, कई परेशान मजदूर सड़कों पर उतर आए हैं। वे अपनी बकाया सैलरी की मांग कर रहे हैं। साथ ही वे उन फैक्ट्रियों में हो रही गलत छंटनी का विरोध कर रहे हैं जो अमेरिकी टैक्स की वजह से बंद हो गई हैं। मजदूरों का कहना है कि उन्हें इस साल की शुरुआत से वेतन नहीं दिया गया है।

शंघाई के निकटवर्ती विनिर्माण क्षेत्रों से लेकर भीतरी मंगोलिया के सुदूर भागों तक, मजदूरों ने बकाया भुगतान की मांग और व्यापक छंटनी के विरोध में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया है। चीन का निर्यात कोरोना काल से भी निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस हफ्ते की शुरुआत में शानक्सी प्रांत के साथ दाओ काउंटी में गुआंग्जिन स्पोट्र्स गुड्स के सैकड़ों कर्मचारियों ने हड़ताल की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि फैक्ट्री बिना किसी मुआवजे या सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए बंद हो गई।