
व्यापम कांड का खुलासा हुए 10 साल पूरे होने को हैं। सीबीआइ ने मामलों की जांच कर न्यायालय में चालान पेश कर दिए हैं। न्यायालय से 45 में फैसला भी हो चुका है। 24 में विचारण शेष है, लेकिन इन केसों में आरोपियों की संख्या धीरे-धीरे उनकी मौत के साथ कम होती जा रही है। दुर्घटना और बीमारियों के चलते अब तक 50 की मौतें हो चुकी है। इस वजह से दो केस विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट से स्वीकार होकर विशेष सत्र न्यायालय में नहीं पहुंच सके हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में पीएमटी सहित अन्य परीक्षाओं के 69 सीबीआई को हेंडओवर हुए थे। भर्ती परीक्षा के अधिकतर केसों में न्यायालय से फैसला हो चुका है, लेकिन अब बड़े केस बचे हैं, जिनमें आरोपियों की संख्या अधिक है। ये पीएमटी फर्जीवाड़े से जुड़े केस है।
व्यापम कांड(Vyapam Scam) की जांच सबसे पहले एसआईटी ने की थी। इसकी निगरानी हाईकोर्ट कर रहा था। एसआईटी हर दिन नए खुलासे कर रही थी। आरोपियों की एक बड़ी चैन बनाई। एसआईटी की जांच के दौरान काफी आरोपियों की मौत हुई थी। पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की थी, जिससे व्यापमं आरोपियों से जेल भर गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2015 में व्यापमं कांड की जांच सीबीआइ को सुपुर्द हो गई। सीबीआइ ने सभी केसों की जांच खत्म करने में 6 साल लगा दिए। जनवरी 2021 में चिरायू मेडिकल कॉलेज भोपाल की सीटों पर फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपियों के खिलाफ आखिरी चालान पेश किया। ग्वालियर के सभी केसों की जांच पूरी हो चुकी है। सीबीआई जांच खत्म करने होने में काफी समय लग गया। इससे चलते आरोपियों को जमानत मिल गई थी। सीबीआई ने इस केस में गिरफ्तार नहीं की थी।
- एसआइटी ने अपनी जांच में आरोपियों की चेन बनाई थी। रैकेटियर, दलाल, सॉल्वर, परीक्षार्थी व पिता को शामिल किया था।
- सीबीआइ ने अतिरिक्त जांच में परीक्षार्थियों के पिता को क्लीन चिट दी। क्लीन चिट देने के पीछे खातों में लेनदेन नहीं होने का आधार दिया गया।
- व्यापम कांड में रैकेटियर दलाल की अहम भूमिका थी। पिता ने अपने बेटे को परीक्षा पास कराने के लिए पैसे दिए। पैसे लेकर
सॉल्वर की व्यवस्था करना दलाल का काम था। रैकेटियर ने परीक्षा में बिठाने की व्यवस्था की। - सीबीआइ व्यापमं कांड में रैकेटियर व दलाल की भूमिका निभाने वालों के खिलाफ केस साबित नहीं कर पा रही है। इनके खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले। यही वजह है कि 90 फीसदी केसों के रैकेटियर व दलाल दोषमुक्त हुए हैं। न्यायालय से परीक्षार्थी व सॉल्वर को ही सजा हो रही है। कुछ केसों में सॉल्वर नहीं मिले, जिसके चलते आरोपी बच गए।
व्यामप कांड के केस में गवाहों का सबसे ज्यादा संकट था। इसके चलते एसआइटी ने पीएमटी कांड के केस में गजराराजा मेडिकल कॉलेज के पास चाय व नाश्ते का ठेला लगाने वालों को गवाह बनाया था। दलालों ने ठेलों पर बैठकर फर्जीवाड़े की स्क्रिप्ट लिखी, जिसे ठेला चलाने वाले ने सुना। इन्हें गवाह बनाना पड़ा। इनमें जो गवाही के लिए उपस्थित हुआ तो वह मुकर गया, या फिर मिल ही नहीं रहे हैं।
- गुलाब सिंह माथुर बनाम मप्र शासन व चांद खां बनाम मप्र शासन केस पीएमटी फर्जीवाड़े से दो बड़े केस हैं। इन दोनों केसों में आरोपियों की संख्या अधिक है। 2020 व 2021 में सीबीआई ने चालान पेश किया था। पूरे आरोपी उपस्थित नहीं हुए थे, जिसके चलते आरोपियों की गिरफ्तारी की गई। जब आरोपियों की उपस्थिति हो गई तो फौत रिपोर्ट आना शुरू हो गई हैं। हर महीने केस लिस्ट पर एक आरोपी की मौत की सूचना आ रही है। इस कारण दोनों चालान स्वीकार होकर विचारण के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं। साथ ही आरोपियों की संख्या अधिक होने पर आरोप तय करने में भी बड़ी कठिनाई होगी।
- चिरायु मेडिकल कॉलेज भोपाल की शासकीय कोटे की सीटों पर प्रवेश देने में 60 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया था। इन आरोपियों का चालान विशेष सत्र न्यायालय में पेश किया गया। कोविड-19 के चलते पांच-पांच आरोपियों की उपस्थिति तय की गई थी, लेकिन इसमें आरोप तय नहीं हो पाए हैं। क्योंकि आरोपी एक साथ उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं। सीबीआई आरोप तय करने के लिए आवेदन भी लगा चुकी है।
विशेष न्यायालय में पीएमटी फर्जीवाड़े के आरोपियों का विचारण शेष बचा है।