Saturday, November 8

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को भी फटकार लगाते हुए कहा कि PMLA का दहेज कानून (धारा 498A) की तरह दुरुपयोग किया जा रहा है।

PMLA मामलों में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाते हुए सख्त टिप्पणी कर कहा, मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) कानून का भी दहेज कानून की तरह गलत इस्तेमाल हो रहा है। कोर्ट ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग कानून के प्रावधानों का उपयोग किसी आरोपी को हमेशा के लिए जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ में हुए कथित शराब घोटाले में आरोपी पूर्व आइएएस अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी की जमानत देते हुए की। त्रिपाठी पर छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था, हालांकि त्रिपाठी को जेल से रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि उन पर आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दायर एक अन्य मामला चल रहा है।

PMLA का हो रहा दुरुपयोग

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन मसीह की पीठ ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों का इस्तेमाल किसी को हमेशा के लिए जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने भी फटकार लगाते हुए कहा कि पीएमएलए का दहेज कानून (धारा 498ए) की तरह दुरुपयोग किया जा रहा है।

क्या है मामला?

मामला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले से जुड़ा था, इस मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को नियमित जमानत दे दी है, हालांकि त्रिपाठी को जेल से रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि उन पर आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दायर एक अन्य मामला चल रहा है। त्रिपाठी पर छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया था और उन्हें 2023 में गिरफ्तार किया गया था।

क्या है PMLA कानून

बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत आरोपियों की जमानत मुश्किल हो जाती है। PMLA कानून में ‘ट्विन कंडीशन’ लागू होती है। इसका मतलब यह है कि आरोपी को तब तक जमानत नहीं दी जा सकती जब तक यह साबित न हो जाए कि उसने अपराध नहीं किया और वह आगे किसी अपराध में शामिल नहीं होगा।