
जयपुर में पीएम की मौजूदगी में पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के अनुबंध सहमति पत्र पर मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र के बीच हस्ताक्षर पानी पारस है, जहां भी स्पर्श करता है, नई ऊर्जा व शक्ति को जन्म देता है। यह नदियों के पानी को जोडऩे का ही परिणाम है कि साबरमती नदी जो एकदम सूख गई थी, आज फिर से सजीव हो गई। पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) नदी जोड़ो परियोजना से मध्य प्रदेश और राजस्थान को न केवल सिंचाई व पीने का पानी मिलेगा, बल्कि राज्यों में विकास के नए द्वार खुलेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राजस्थान सरकार का एक साल पूरे होने पर पीकेसी नदी जोड़ो परियोजना के त्रिपक्षीय अनुबंध कार्यक्रम में यह बात कही। मोदी 25 दिसंबर को छतरपुर में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखेंगे। पीएम ने कहा, यह दोनों राज्यों को सुजलाम् सुफलाम् बनाएगी। जिस अनुबंध सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, वह सामान्य सहमति पत्र नहीं है, आने वाले कई दशकों तक याद रखा जाएगा। इस दौरान जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी मौजूद रहे।
एमपी के गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़ जिलों के 3217 गांवों को लाभ मिलेगा। 21 बैराज व बांध बनेंगे। जलभराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। 172 मिलियन घन मीटर पानी पीने और उद्योगों के लिए रहेगा।
6.13 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी। 40 लाख किसानों को सिंचाई का पानी मिलेगा। 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर एवं वितरणत तंत्र के आधुनिकीकरण से मुरैना, भिंड एवं श्योपुर जिलों के 1205 गांवों में 3.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को पानी मिलेगा।