
एनजीटी के 8 अगस्त के आदेश में जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खानों के लिए राज्य स्तरीय प्राधिकरण से भी 7 नवंबर तक मंजूरी लेने को कहा गया और ऐसा नहीं करने पर खनन कार्य बंद करने का आदेश दिया। खानों में काम करने वाले 15 लाख लोगों के रोजगार पर संकट टल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 23 हजार खनन पट्टों की वैधता 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी। साथ ही, कहा कि जो लीजधारक जिला स्तरीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकरण से मंजूरी लेकर खान चला रहे हैं, वे पर्यावरणीय मंजूरी के लिए तीन सप्ताह के भीतर राज्य स्तरीय प्राधिकरण में आवेदन करें। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायाधीश संजय कुमार की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर यह आदेश दिया। एनजीटी के 8 अगस्त के आदेश में जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खानों के लिए राज्य स्तरीय प्राधिकरण से भी 7 नवंबर तक मंजूरी लेने को कहा गया और ऐसा नहीं करने पर खनन कार्य बंद करने का आदेश दिया। इस पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी में प्रार्थना पत्र पेश कर 7 नवंबर की समय सीमा को बढ़ाने का आग्रह किया, जिसे एनजीटी ने पिछले दिनों खारिज कर दिया। राजस्थान सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व अतिरिक्त महाधिवता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि एनजीटी के आदेश से करीब 23 हजार खान और 15 लाख लोगों के रोजगार प्रभावित होंगे। इससे अर्थव्यवस्था व निर्माण गतिविधियां प्रभावित होंगी, वहीं निर्माण सामग्री की कीमतों में वृद्धि होगी।