Tuesday, September 23

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका की सुनवाई में एक दिन की भी देरी को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है।

की दो अलग-अलग बेंचों ने शुक्रवार को जमानत अर्जियों पर सुनवाई के मामले में सख्ती दिखाते हुए हाईकोर्टों के रवैये की आलोचना की। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने एक जमानत याचिका के एक साल से अधिक समय तक लंबित रहने पर अफसोस जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की आलोचना की।

सुप्रीम कोर्ट की दो अलग-अलग बेंचों ने शुक्रवार को जमानत अर्जियों पर सुनवाई के मामले में सख्ती दिखाते हुए हाईकोर्टों के रवैये की आलोचना की। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने एक जमानत याचिका के एक साल से अधिक समय तक लंबित रहने पर अफसोस जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की आलोचना की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत के मामलों की सुनवाई में एक दिन की भी देरी आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के एक आरोपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने अपने जमानत आवेदन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बार-बार स्थगन को चुनौती दी थी। उसकी आपत्ति थी कि अगस्त 2023 से आवेदन लंबित है। बेंच ने जमानत याचिकाओं के एक वर्ष से अधिक समय तक लंबित रहने की प्रथा पर असंतोष व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट को इस मामले को सूचीबद्ध होने पर शीघ्रता से निपटारा करने का निर्देश दिया।