Tuesday, September 23

सत्ता की सीढ़ी’ कोल्हान में 5 पूर्व सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर

सत्ता की सीढ़ी माने जाने वाले कोल्हान इलाके में पिछली बार की चूक से सबक लेते हुए भाजपा ने इस बार पूरी ताकत झोंक दी है। सोरेन पिता-पुत्र को छोड़कर राज्य के सभी पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा कोल्हान इलाके में दांव पर है जो भाजपा के साथ खड़े हैं। ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से चर्चित झामुमो नेता चंपाई सोरेन के पार्टी में आने से भी भाजपा को सीटों का लाभ होने की उम्मीद है।

14 सीटों पर भाजपा का नहीं खुला था खाता

पिछले चुनाव (2019) कोल्हान इलाके की 14 सीटों पर भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। झामुमो ने 11 और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं और प्रदेश में सरकार बनाई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद जमशेदपुर पूर्व सीट पर भाजपा के बागी सरयू राय से चुनाव हार गए थे। कोल्हान की 14 में से 13 सीटें जीतकर झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सत्ता में पहंचने में सफल रहा था।

इस बार बदले हैं समीकरण

दरअसल, पिछली बार भाजपा के साथ आजसू का गठबंधन टूट गया था, वहीं बाबूलाल मरांडी की भी पार्टी अलग चुनाव लड़ी थी। इससे एनडीए के वोटों में हुए बिखराव का फायदा उठाने में महागठबंधन सफल रहा था। इस बार मरांडी और आजसू दोनों भाजपा के साथ लौट चुके हैं। जिससे कोल्हान में समीकरण बदले दिख रहे हैं।

जिताऊ पैमाने पर परिवारवाद की अनदेखी

भाजपा ने जिताऊ आधार पर परिवारवाद की अनदेखी करते हुए कोल्हान क्षेत्र की सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे, बहू और पत्नी को उतारा है। अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा – पोटका से, खुद चंपाई सोरेन सरायकेला तो बेटे बाबूलाल को घाटशिला से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा जमशेदपुर पूर्व और मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर सीट से चुनाव लड़ रहीं हैं।