आय से अधिक संपत्ति जमा करने वाले भारतीय स्टेट बैंक के सहायक महाप्रबंधक, उनकी पत्नी, तीन बेटियां और दामाद को दोषी पाया गया। 19 साल बाद सीबीआइ कोर्ट ने सहायक महाप्रबंधक जितेंद्र प्रताप सिंह, पत्नी किरण, बेटियां अन्वेषा, गरिमा, नम्रता व सीए दामाद समीर सिंह को सजा सुनाई। विशेष जज अरविंद शर्मा ने जितेंद्र को 3 साल कठोर कारावास व 32.22 लाख जुर्माना से दंडित किया। पत्नी किरण, तीनों बेटियों और सीए दामाद को 1-1 साल कठोर कारावास व 25-25 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी। जुर्माना न भरने पर जितेंद्र को 3 माह और बाकी को 1-1 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। जितेंद्र ने 1 जनवरी 1999 से 02 अप्रेल 2005 तक 37.13 लाख की अनुपातहीन संपत्ति बनाई।
सीबीआइ ने 94 गवाह पेश किए। आरोपी जितेंद्र प्रताप सिंह की ओर से 15 ने गवाही दी। कोर्ट ने दस्तावेज और गवाहों के बयान के आधार पर पाया कि जितेंद्र प्रताप सिंह ने 1999 से 2005 तक आय से ज्यादा अनुपातहीन संपत्ति बनाई। इसके लिए उसने पत्नी, बेटियों और दामाद के नाम का इस्तेमाल किया। बेटियों और दामाद ने अलग-अलग नाम से एसबीआइ भोपाल की कई शाखाओं में बोगस खाते खोले और नकदी जमा कर परिवार के सदस्यों के नाम चल-अचल संपत्ति बनाई।