भोपाल फिर गेट वाला होगा। बीडीए शहर के एंट्री-एग्जिट सड़कों पर सेंसर गेट की योजना तैयार कर रहा है। हर गेट अपनी एक अलग खासियत बताएगा। गेट शहर की नई पहचान तो होंगे ही, सुरक्षात्मक और मॉनीटरिंग के स्तर पर भी काम करेंगे। सेंसर और कैमरे रहने से हर आवाजाही पर नजर बनाकर रेकॉर्ड रखा जाएगा।
भोपाल को परमार काल के बाद बेगमों के शासनकाल के दौरान शहर (Bhopal) को सुरक्षित किले के रूप में विकसित किया था। भोपाल की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से इसे दीवारों से घेरकर गेटों का निर्माण किया। ये गेट न सिर्फ सुरक्षा के लिए बल्कि शहर के प्रशासन और व्यापार की सुविधा के लिए बनाए थे।
समय के साथ, जैसे-जैसे शहर का विस्तार हुआ और आधुनिकता आई, दीवारों और गेटों का महत्व घटता गया। कई गेट अब अस्तित्व में नहीं हैं, लेकिन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक महत्व आज भी भोपाल की धरोहर का हिस्सा है।