Monday, September 22

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मंगलवार को कहा कि कोर्ट के अवकाश के कारण मुकदमों की सुनवाई किए बिना वेतन मिलने पर उन्हें अक्सर अपराध बोध होता है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मंगलवार को कहा कि कोर्ट के अवकाश के कारण मुकदमों की सुनवाई किए बिना वेतन मिलने पर उन्हें अक्सर अपराध बोध होता है। उन्होंने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान वेतन पाकर बहुत बुरा लगता है, क्योंकि मैं जानती हूं कि हमने उस दौरान काम नहीं किया है। जस्टिस नागरत्ना ने यह टिप्पणी मध्यप्रदेश के चार सिविल जजों को बर्खास्तगी काल का वेतन देने से इनकार करते हुए की जो सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद वापस बहाल कर दिए गए थे।

एमपी के चार जजों को बर्खास्तगी रद्द

जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच में मध्यप्रदेश के छह सिविल जजों की बर्खास्तगी संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने सूचित किया कि चार जजों की बर्खास्तगी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है जबकि दो की बरकरार रखी गई है। इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने चार जजों को बर्खास्तगी अवधि का वेतन दिलाने की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट का उस समय का वेतन देने से इनकार

जस्टिस नागरत्ना ने स्पष्ट किया कि चूंकि सिविल जजाें ने बर्खास्तगी के दौरान काम नहीं किया था, इसलिए उन्हें वेतन नहीं दिया जा सकता। हमारा विवेक इसकी इजाजत नहीं देता।