Monday, September 22

भारत बंद का आह्वान करने वाले सभी संगठनों का कहना है कि उच्चतम न्यायालय अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। बंद का ऐलान करते हुए इन संगठनों ने कहा है कि आज भी वह पीछे हैं और उन्हें निजी संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है।

अनुसचित जाति और जनजाति को लेकर उच्चतम न्यायालय के आए फैसले के विरोध में आज कई संगठनों ने भारत बंद का एलान किया है। इस बंद के कई राजनीति पार्टियों ने भी समर्थन दिया है। बंद का ऐलान करते हुए इन संगठनों ने कहा है कि आज भी वह पीछे हैं और उन्हें निजी संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में उच्चतम न्यायालय के क्रीमीलेयर वाले निर्णय का वह विरोध करते हैं। इसके कारण आज पूरे देश में बंद रखेंगे।

भारत बंद का आह्वान करने वाले सभी संगठनों का कहना है कि उच्चतम न्यायालय अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। राष्ट्रीय दलित संगठन परिसंघ ने कहा है कि सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी/ओबीसी कर्मचारियों के जाति पर आधारित डेटा जारी किया जाए।

उच्चतम न्यायालय ने एससी और एसटी आरक्षण के बारे में फैसला देते हुए कहा था कि इनमें भी वर्गीकरण की अब आवश्यकता है। सभी एससी और एसटी जातियों को आरक्षण का समान लाभ नहीं मिल रहा है। इस मामले पर न्यायालय ने उदाहरण देते हुए बताया कि सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले है।फिर भी इन दोनों की जातियां एससी में आती हैं लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक भी पिछड़े हुए हैं। न्यायलय ने कहा कि सभी के उत्थान के लिए राज्य सरकार वर्गीकरण कर सकती हैं। यह संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है लेकिन मनमर्जी के साथ नहीं कर सकती हैं।