मान्यता की कसौटी पर खरे न उतरने वाले नर्सिंग कॉलेजों को हर स्तर पर अफसरों ने खुली छूट दी। कॉलेजों की जांच के लिए राज्य व स्थानीय स्तर के साथ नर्सिंग काउंसिल के तीन मुख्य चेक प्वाइंट बने हैं। लेकिन तीनों स्तर पर अफसरों का ऐसा गठजोड़ रहा कि सब जानते हुए वे आंखें मूंदें रहे। नतीजा, नर्सिंग कॉलेज घोटाला हो गया। जिम्मेदारों ने हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया। कहने को सरकार ने पारदर्शिता के लिए ऑफलाइन व्यवस्था खत्म कर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अपनाई। फिर स्कू्रूटनी और भौतिक सत्यापन के लिए बनी टीम में राज्य से लेकर स्थानीय स्तर तक सदस्य रखे। फिर भी नर्सिंग काउंसिल ने बिना भवन, शिक्षक और अस्पताल के कॉलेजों को मान्यता दी।
14 नायब और तहसीलदारों को नोटिस
सरकार की सख्ती के बाद अब विभागों ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गुरुवार को राजस्व विभाग ने नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी रिपोर्ट देने वाले 14 नायब और तहसीलदारों को नोटिस दिया है। वे मान्यता देने वाली निरीक्षण टीम में थे। उनकी रिपोर्ट के बाद नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता दी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कार्रवाई का प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजा था। विभाग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है।
इन्हें नोटिस
पल्लवी पौराणिक, तत्कालीन तहसीलदार, इंदौर
अंकिता यदुवंशी, तत्कालीन नायब तहसीलदार, विदिशा
ज्योति ढोके, तत्कालीन नायब तहसीलदार, नर्मदापुरम
रानू माल, नायब तहसीलदार, आलीराजपुर
अनिल बघेल, नायब तहसीलदार, झाबुआ
सुभाष कुमार सुनेरे, नायब तहसीलदार, देवास
जगदीश बिलगावे, नायब तहसीलदार, बुरहानपुर
यतीश शुक्ला, नायब तहसीलदार, रीवा
छवि पंत, तत्कालीन नायब तहसीलदार, छिंदवाड़ा
सतेंद्र सिंह गुर्जर, तत्कालीन नायब तहसीलदार, धार
रामलाल पगोर, नायब तहसीलदार, बुरहानपुर
जीतेंद्र सोलंकी, तत्कालीन नायब तहसीलदार, झाबुआ
अतुल शर्मा, तत्कालीन नायब तहसीलदार, सीहर
कृष्णा पटेल, तत्कालीन नायब तहसीलदार, खरगोन।
कॉलेजों की जांच करने वाले 111 अफसरों को नोटिस
पत्रिका की खबर के बाद गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग जागा। नर्सिंग काउंसिल के तत्कालीन अध्यक्ष-रजिस्ट्रार पर कार्रवाई शुरू की। प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने बताया, अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नोटिस दिए हैं। जवाब आने पर कार्रवाई होगी। कॉलेजों का निरीक्षण करने वाले दलों के 111 अफसरों को भी नोटिस दिया। बता दें, नर्सिंग काउंसिल के पदेन अध्यक्ष डीएमई होते हैं। रजिस्ट्रार शासन नियुक्त करता है।
जांच के घेरे में काउंसिल के ये जिम्मेदार
2020-22 में अध्यक्ष रहीं उल्का श्रीवास्तव डीएमई, 2022-24 में अध्यक्ष रहे डीएमई जितेन्द्र शुक्ला, 2020- 21 इसमें रजिस्ट्रार रहीं चन्द्रकला दिवगैया, 2021-22 में सुनीता शिजू और 2022-23 में रजिस्ट्रार रहे योगेश शर्मा।
मान्यता मिलने की प्रक्रिया कड़ी, फिर भी लगा दी सेंध
0-नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए ऑफलाइन व्यवस्था बंद है। आवेदन ऑनलाइन होता है। दस्तावेज ऑनलाइन जमा होते हैं। हार्डकॉपी भी ली जाती है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
एमयू ने रद्द की 66 नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता
जबलपुर. मेडिकल यूनिवर्सिटी ने अनसूटेबल 66 नर्सिंग कॉलेजों की सत्र 2020-21 की संबद्धता रद्द कर दी। हाईकोर्ट के आदेश पर नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता रद्द की थी। इन कॉलेजों में 5000 छात्र हैं। हाईकोर्ट से बनी कमेटी कॉलेजों का भविष्य तय करेगी। वहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर सभी कॉलेजों के 28 हजार विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए हैं।