जापान ने चंद्रमा की सतह पर पिन प्वाइंट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि यह सॉफ्ट लैंडिंग हुई है या हार्ड लैंडिंग। जापान के वैज्ञानिकों को मून मिशन स्नाइपर से सिग्नल मिलने का इंतजार है। इसके बाद भी मिशन के सफल होने की आधिकारिक पुष्टि की जाएगी। यदि यह लैंडिंग सफल रहती है तो अमरीका, सोवियत संघ, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा पर लैंडिंग करने वाला पांचवां देश बन जाएगा। पिछले साल 23 अगस्त को भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी धु्रव पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जैक्सा ने कहा कि उसका मानवरहित अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर है, लेकिन अब भी अपनी स्थिति की जांच कर रहा है। स्नाइपर 7 सितंबर को चंद्रमा के लिए रवाना हुआ था। चार महीने की यात्रा के बाद इसने चांद पर लैंडिंग की है।
चांद के रहस्य उजागर करेगा स्नाइपर
बताया जाता है कि स्नाइपर का लक्ष्य चांद के शिओली क्रेटर (गड्ढे) की जांच करना है। ये चांद के सी ऑफ नेक्टर हिस्से में है। वैज्ञानिकों को मानना है कि इस क्षेत्र में जांच कर चांद के निर्माण के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
इसलिए खास.. पिन प्वाइंट लैंडिंग
पिन प्वाइंट लैंडिंग में एक खास जगह फोकस किया जाता है। इस इलाके के बारे में काफी हद तक पहले की जानकारी होती है। उसी हिसाब से लैंडर का डिजाइन और पोस्ट लैंडिंग रोवर मूवमेंट तय किया जाता है। इसका मकसद उस खास जगह के बारे में सटीक जानकारी हासिल करना होता है।