Tuesday, September 23

हिजाब पर प्रतिबंध का आदेश वापस, सरकार ने कहा- जो पहनना हो पहनो, जो खाना हो खाओ

 

राज्य के शिक्षण संस्थानों में अब हिजाब पर प्रतिबंध नहीं होगा। स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध संबंधी सरकारी आदेश को वापस लेने का निर्देश मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने अधिकारियों को दिया है। नंजनगुड़ में शुक्रवार को एक सभा को संबोधित करते हुए सिद्धरामय्या ने कहा कि जिसको जो पहनना है वह पहन सकता है या, जिसको जो खाना है वह खा सकता है। इसकी पूरी छूट होगी। खाने-पीने या पहनने पर किसी तरह की कोई रोक सरकार नहीं लगाएगी। उन्होंने अधिकारियों से हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है।

‘भाजपा पहनावे और जाति के आधार पर बांट रही’

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबका साथ, सबका विकास का नारा खोखला है। भाजपा पहनावे और जाति के आधार पर लोगों को बांटने का काम कर रही है। खान-पान और पहनावे से जुड़े मामले व्यक्तिगत पसंद का मामला है। इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। वे धोती पहनते हैं लेकिन कोई पैंट-शर्ट पहनता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

हिजाब को लेकर अदालत ने ये कहा था…

दरअसल, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों से यूनिफार्म को लेकर सरकार के नियमों का पालन करने को कहा था। मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया और सरकार के आदेश को अदालत में चुुनौती दी गई। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए 15 मार्च 2022 को कहा था कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित भी नहीं हैं। तीन न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ ने यह भी कहा कि स्कूली पोशाक (यूनिफार्म) का निर्धारण अनुच्छेद 25 के तहत छात्रों के अधिकारों पर एक उचित प्रतिबंध है जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते और कर्नाटक सरकार की ओर से जारी सरकारी आदेश उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।

बाद में अक्टूबर 2022 में उच्चतम न्यायालय ने भी बहुमत से दिए गए फैसले में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। हालांकि कांग्रेस ने भाजपा सरकार के आदेश का विरोध किया और सत्ता में आने पर उसे वापस लेने की बात कही थी। अब मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा है कि वह राज्य सरकार की ओर से जारी परिपत्र को वापस लेंगे।