Sunday, October 19

पंजाब सरकार बनाम राज्यपाल मामला: सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर को दी नसीहत, कहा- ‘अंतरात्मा में झांकें…’

देश के कई राज्यों की विधानसभाओं में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपालों की तरफ से देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यपालों को ‘अंतरात्मा की तलाश’ करनी चाहिए। उन्हें मामला न्यायालय में आने से पहले ही कार्यवाही करनी चाहिए। राज्यपाल तभी कार्यवाही करते हैं, जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है। दरअसल, सोमवार को सीजेआइ डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच पंजाब सरकार बनाम गर्वनर वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा, राज्यपालों को विधेयकों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का इंतजार नहीं करना चाहिए।

पंजाब सरकार पहुंची शीर्ष अदालत
पंजाब में आम आदमी पार्टी की नेतृत्व वाली सरकार की ओर से दाखिल याचिका में राज्य विधानसभा में पास या पेश किए जाने के लिए प्रस्तावित विधेयकों को मंजूरी देने में गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित की ओर से देरी को चुनौती दी गई है। पीठ ने राज्यपाल से शुक्रवार तक यह बताने के लिए कहा कि उन्होंने सात विधेयकों पर अब तक क्या एक्शन लिया।
राज्यपाल को विधेयक रोकने का अधिकार नहीं
पीठ ने आगे कहा कि इसी तरह के मामले में तेलंगाना सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। तमिलनाडु और केरल की इसी तरह की याचिकाएं भी शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं। पीठ ने कहा कि सरकार और राज्यपालों को विवाद आपसी चर्चा से निपटा लेने चाहिए। गवर्नरों को विधेयकों को वापस करने का अधिकार है, लेकिन वे उन्हें अटका कर नहीं बैठ सकते। पीठ ने कहा कि गवर्नर चुनी हुई सरकार जैसे नहीं हैं। उन्हें समय पर बिलों को मंजूरी देने या लौटाने पर फैसला करना चाहिए।
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील ए.एम. सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल पुरोहित ने राजकोषीय और शिक्षा संबंधी कानून समेत सात महत्त्वपूर्ण विधेयकों पर सहमति रोक रखी है। शीर्ष अदालत के पुराने फैसलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पास इस तरह विधेयकों को रोकने का अधिकार नहीं है।
तीन वित्त विधेयकों को लेकर टकराव

गौरतलब है कि पंजाब के राज्यपाल पुरोहित और भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के बीच ताजा टकराव तीन वित्त विधेयकों को लेकर है। इन्हें विशेष सत्र से पहले अनुमोदन के लिए राज्यपाल को भेज दिया गया था। मंजूरी रोकते हुए पुरोहित ने कहा कि चूंकि बजट सत्र 20 जून को समाप्त हो चुका था, इसलिए कोई भी विस्तारित सत्र अवैध है।