सरपंचों ने निर्माण के लिए आई राशि निकाल ली फिर भी निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है। आदिवासी बाहुल्य मजरा टोला मालूद ओर सूजा की प्राथमिक ईजीएस शालाओं के लिए वर्ष 2010-11 में क्रमश: 2लाख 51 हजार और 2 लाख 57 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे। निर्माण की जिम्मेदारी तत्कालीन सरपंच राधाबाई को सौंपी थी।
दोनों भवनों को आमने- सामने एक ही स्थान पर बनाने के बाद निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है। दोनों भवन छत लेबल तक बनाए गए हैं। उनके प्लास्टर और फर्श का निर्माण किया जाना है। ग्रामीणों ने बताया कि मालूद और सूजा शालाएं अलग-अलग हैं। दोनों में काफी दूरी है। इसके बाद एक ही स्थान पर भवन निर्माण किए जाने से किसी एकबस्ती के छात्र-छात्राओं को पैदल चलकर पढऩे जाना पड़ेगा। जबकि दोनों बस्तियां काला पहाड़ के जंगली इलाके में बसी हैं। बस्ती के लोग ही सप्ताह में एक बार बाजार आदि के लिए बड़ी मुश्किल से आ और जा पाते हैं। इस निर्माण को लेकर बीआरसी अनिरूद्ध डिम्हा का कहना है कि पूर्व सरपंच द्वारा इसका निर्माण कराया गया है लेकिन ज्यादा राशि व्यय हो जाने के कारण उसका निर्माण बंद कर दिया गया। इंजीनियर के माध्यम से पुनरीक्षित प्रस्ताव बनाकर स्वीकृति के लिए भेजा गया है। सरपंच निर्माण अधूरा छोड़ता है तो वसूली के लिए कार्रवाई की जाएगी।
करीब दो साल से अधूरे पड़े दोनों शाला भवनों का सीमेंट चूने की तरह झडऩे लगा है। चादर के दरवाजे टूट रहे हैं।
सिंगल ईंट की दीवार से चूना झडऩे के कारण आरपार दिखाई दे रहा है। छत का पिलर झुक रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन आदिवासी छात्रों के लिए यह अतिरिक्त कक्ष बनाए गए हैं वे खुले मैदान में ही पढ़ रहे हैं।