पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट ने अमरीका के साथ एक अहम सुरक्षा समझौते को मंजूरी दे दी है। इस समझौते के बाद इस्लामाबाद के लिए अमरीका से सैन्य हार्डवेयर की खरीद का रास्ता साफ हो गया है। पाकिस्तान की कैबिनेट ने जिस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं उसे कम्यूनिकेशन इंटरपोरेबिलिटी एंड सिक्योरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (सीआईएस-एमओए) कहा जाता है। मामले में सबसे अधिक गौर करने की बात ये है कि दोनों ही देशों ने इस समझौते की घोषणा नहीं की है। बल्कि इसे गुपचुप अंजाम दिया गया है।
जुलाई में बनी थी सहमति
यह पूरा घटनाक्रम तब सामने आया है जब यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल एरिक कुरिला ने जुलाई महीने में रावलपिंडी यात्रा पर पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की थी। इस बैठक में पाकिस्तान और अमरीका के बीच रक्षा क्षेत्र सहित अपने द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने पर सहमति बनी थी।
यह पूरा घटनाक्रम तब सामने आया है जब यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल एरिक कुरिला ने जुलाई महीने में रावलपिंडी यात्रा पर पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की थी। इस बैठक में पाकिस्तान और अमरीका के बीच रक्षा क्षेत्र सहित अपने द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने पर सहमति बनी थी।
एक बुनियादी समझौता है सीआईएस-एमओए
सीआईएस-एमओए एक बुनियादी समझौता है जो अमरीका अपने सहयोगियों और अन्य देशों के साथ करता है, जिनके साथ वह करीबी सैन्य और रक्षा संबंध बनाए रखना चाहता है। किसी देश को सैन्य उपकरण और हार्डवेयर की बिक्री से पहले अमरीकी रक्षा विभाग इस समझौते के आधार पर ही आगे बढ़ता है। सीआईएस-एमओए हस्ताक्षर करने का मतलब है कि दोनों देश रक्षा क्षेत्र में संस्थागत तंत्र को बनाए रखने के इच्छुक हैं।
सीआईएस-एमओए एक बुनियादी समझौता है जो अमरीका अपने सहयोगियों और अन्य देशों के साथ करता है, जिनके साथ वह करीबी सैन्य और रक्षा संबंध बनाए रखना चाहता है। किसी देश को सैन्य उपकरण और हार्डवेयर की बिक्री से पहले अमरीकी रक्षा विभाग इस समझौते के आधार पर ही आगे बढ़ता है। सीआईएस-एमओए हस्ताक्षर करने का मतलब है कि दोनों देश रक्षा क्षेत्र में संस्थागत तंत्र को बनाए रखने के इच्छुक हैं।
सबसे पहले 2005 में हुआ था दोनों देशों में समझौता
दोनों देशों में समझौता सबसे पहले अक्टूबर 2005 में 15 वर्षों के लिए हुआ था, जो कि 2020 में समाप्त हो गया। कुछ समय के अंतराल के बाद दोनों पक्षों ने अब उस व्यवस्था पर फिर से मुहर लगाई है। अब दोनों देश संयुक्त अभ्यास, अभियान, ट्रेनिंग, एक-दूसरे के बेस और उपकरण का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस समझौते से संकेत मिलता है कि अमरीका आने वाले वर्षों में पाकिस्तान को कुछ सैन्य हार्डवेयर बेच सकता है।
दोनों देशों में समझौता सबसे पहले अक्टूबर 2005 में 15 वर्षों के लिए हुआ था, जो कि 2020 में समाप्त हो गया। कुछ समय के अंतराल के बाद दोनों पक्षों ने अब उस व्यवस्था पर फिर से मुहर लगाई है। अब दोनों देश संयुक्त अभ्यास, अभियान, ट्रेनिंग, एक-दूसरे के बेस और उपकरण का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस समझौते से संकेत मिलता है कि अमरीका आने वाले वर्षों में पाकिस्तान को कुछ सैन्य हार्डवेयर बेच सकता है।
आसान नहीं होगी पाक की राह
इस समझौते को जिस तरह से गुपचुप साइन किया गया है, वो बताता है कि दोनों देश इस समझौते को फिलहाल कोई खास महत्व नहीं देना चाहते। जानकारों के अनुसार, इस समझौते के बाद भी पाकिस्तान के लिए अमरीका से सैन्य उपकरण की खरीद करना आसान नहीं होगा। दरअसल, चीन और पाक के बीच गहराती दोस्ती के बाद ये साफ हो गया है कि वाशिंगटन के दीर्घकालिक हित इस्लामाबाद के साथ मेल नहीं खाते हैं। दरअसल कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमरीका को पाकिस्तान की जरूरत है और इसलिए यह समझौता दोनों के इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया गया है।
इस समझौते को जिस तरह से गुपचुप साइन किया गया है, वो बताता है कि दोनों देश इस समझौते को फिलहाल कोई खास महत्व नहीं देना चाहते। जानकारों के अनुसार, इस समझौते के बाद भी पाकिस्तान के लिए अमरीका से सैन्य उपकरण की खरीद करना आसान नहीं होगा। दरअसल, चीन और पाक के बीच गहराती दोस्ती के बाद ये साफ हो गया है कि वाशिंगटन के दीर्घकालिक हित इस्लामाबाद के साथ मेल नहीं खाते हैं। दरअसल कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमरीका को पाकिस्तान की जरूरत है और इसलिए यह समझौता दोनों के इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया गया है।
अमरीका ने किया भारत के रुख का समर्थन
हाल में पाक पीएम शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत की इच्छा जाहिर की थी। इस बारे में पूछे जाने पर अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच चिंताजनक मुद्दों पर सीधे संवाद का समर्थन करते हैं। हमारा लंबे समय से यही रुख रहा है।
अमरीकी अधिकारी ने कहा भारत कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है। हालांकि, इसके लिए आतंक मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।
हाल में पाक पीएम शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत की इच्छा जाहिर की थी। इस बारे में पूछे जाने पर अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच चिंताजनक मुद्दों पर सीधे संवाद का समर्थन करते हैं। हमारा लंबे समय से यही रुख रहा है।
अमरीकी अधिकारी ने कहा भारत कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है। हालांकि, इसके लिए आतंक मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।