Tuesday, September 23

पैसेंजर कोच में स्कूटर रखकर यात्रा करते हैं लोग

बीना से भोपाल की ओर जाने वाली मेमू स्पेशल ट्रेन में गुरुवार सुबह 11.15 बजे कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। इस ट्रेन के एक कोच के अंदर दरवाजे के पास ही एक स्कूटर रखा हुआ था। यात्रियों को यह देखकर हैरत हो रही थी कि पैसेंजर कोच में आखिर यह स्कूटर कैसे आ गया? इसे तो लगेज कोच में होना था। पूछताछ करने पर भी किसी यात्री ने इस पर मालिकाना हक नहीं जताया। बाद में यह स्कूटर विदिशा से भी आगे के लिए रवाना हो गया।

अन्य यात्री गाड़ियों की तरह मेमू ट्रेन में भी यात्री कोच में वाहनों का परिवहन वर्जित है लेकिन इस ट्रेन में न टीटीई का पता था और न ही सुपरवाइजर का। यात्री बताते हैं कि इसी का फायदा उठाकर कई लोग इस ट्रेन में वाहन भी बेरोकटोक एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते है। यात्रियों का कहना है कि रेलवे ने यह मेमू स्पेशल ट्रेन अपडाउनर्स और अन्य यात्रियों की सुविधा के लिए चलाई थी, लेकिन इसमें स्पेशल कुछ नजर नहीं आता है। ट्रेन कल्हार जैसे छोटे स्टेशनों पर बगैर स्टॉपेज के रुक जाती है। कई बार यात्री अपनी सुविधा के अनुसार चेन खींचकर भी ट्रेन को रोक देते है।

पार्सल ऑफिस से बनती है रसीद

रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार ट्रेन में बाइक, स्कूटर आदि वाहन एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजे जाते है जिसका भाड़ा दूरी, बाइक या स्कूटर की कीमत के आधार पर तय होती है। जिसकी पार्सल आफिस से रसीद बनती है। इसमें पैकिंग शुल्क अलग से लगता है। वाहन की पैकिंग के बाद रेलवे द्वारा उसे लगेज बोगी में रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है। बीना से भोपाल तक वाहन पहुंचाने का भाड़ा लगभग 1000 रुपए लगता है। जिसे बचाने के चक्कर में यात्री स्कूटर सहित मेमू ट्रेन में सवार हुआ था।