Sunday, September 28

मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता पर लोकसभा में सवालों की झड़ी, ओवैसी से लेकर राउत तक जानें किसने क्या पूछा

समान नागरिक संहिता राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में से एक है। इस मुद्दे पर नए सिरे से सार्वजनिक बहस जारी है। जैसे ही संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है, सभी की निगाहें कथित रूप से विवादास्पद समान नागरिक संहिता पर टिक गई हैं। उल्लेखनीय है कि 22वें विधि आयोग ने UCC (समान नागरिक संहिता) के संबंध में व्यक्तियों और संगठनों के विचार और आपत्तियां मांगीं हैं। यह नया प्रारूप पिछले विधि आयोग द्वारा 2018 में ‘पारिवारिक कानून में सुधार’ पर एक परामर्श पत्र जारी करने के पांच साल बाद आया है। इस पर संसद सदस्यों ने कानून और न्याय मंत्री को शुक्रवार, 21 जुलाई को उत्तर देने के लिए कई प्रश्न भी प्रस्तुत किए हैं, कानून मंत्रालय तय कार्यक्रम के अनुसार नए सत्र में उनका जवाब देगा। कानून मंत्रालय द्वारा उत्तर दिए जाने वाले 18 अतारांकित प्रश्नों (लिखित उत्तर मांगने वाले प्रश्न) में से तीन यूसीसी पर हैं।

विधि और न्याय मंत्री से पूछे गए सवाल
यहां उन प्रश्नों की सूची दी गई है जिनका उत्तर संभवतया आज (लिखित रूप में) लोकसभा में दिया जाएगा:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के सांसद डीन कुरियाकोस, रवनीत सिंह बिट्टू और सुब्बुरामन थिरुनावुक्कारासर, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्य अंडीमुथु राजा और अविनाशी गणेशमूर्ति, भारतीय जनता पार्टी के नेता राकेश सिंह ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के सुझावों के संबंध में निम्नलिखित प्रश्न पूछे हैं –

1- क्या भारत के 22वें विधि आयोग ने हाल ही में आम जनता, धार्मिक संगठनों और अल्पसंख्यक समुदायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ देश में नागरिक संहिता (यूसीसी) पर परामर्श शुरू किया है और यूनिफ़ॉर्म के कार्यान्वयन के लिए उनसे सुझाव मांगे हैं

2- यदि हां, तो इस संबंध में अब तक विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त सुझावों और आपत्तियों का ब्यौरा क्या है

3- क्या अब तक प्राप्त सुझाव अपर्याप्त हैं और व्यापक प्रचार की आवश्यकता है

4- यदि हां, तो क्या सरकार यूसीसी पर अधिक प्रचार और सुझावों के लिए समय सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखती है और ऐसा ही है। इसके कार्यान्वयन और विस्तार, यदि कोई हो, के लिए निर्धारित समय-सीमा का संकेत देने वाला विवरण

5- क्या सरकार यूसीसी के मुद्दे पर विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा उठाई गई शिकायतों/आपत्तियों का अध्ययन करने के लिए एक आयोग गठित करने का प्रस्ताव रखती है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है

6- क्या सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों को आश्वासन दिया है कि सभी राजनीतिक दलों के बीच व्यापक सहमति के बाद यूसीसी लाया जाएगा और यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता माला रॉय और सौगत रे, कांग्रेस सांसद वीके श्रीकंदन, विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) डी रविकुमार और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अन्य बातों के अलावा, समान नागरिक संहिता पर 2018 विधि आयोग की रिपोर्ट के संबंध में निम्नलिखित प्रश्न पूछे हैं –

1- क्या वर्ष 2018 में 21वें विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यूसीसी इस स्तर पर न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है

2- यदि हां, तो क्या यह निर्णय विधि आयोग द्वारा व्यापक परामर्श और जनता की प्रतिक्रिया के बाद लिया गया था

3- यदि हां, तो क्या वर्तमान विधि आयोग ने यूसीसी पर विचार के लिए नया सार्वजनिक नोटिस जारी किया है।

4- यदि हां, तो व्यापक होने के बावजूद इस रुख के पीछे क्या तर्क है

5- यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं कि संविधान में निहित नागरिकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जाए?

शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट से संबंधित सांसद अरविंद गणपत सावंत और विनायक राउत, टीएमसी के प्रोफेसर सौगत रे और भाजपा के राकेश सिंह ने अन्य कानूनों पर समान नागरिक संहिता के प्रभाव के बारे में निम्नलिखित प्रश्न पूछे हैं –

1- क्या देश में लागू करने के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार किया जा रहा है और यदि हां, तो उसका ब्यौरा और समय-सीमा क्या है और उस पर सरकार का क्या रुख है

2- क्या इसके कार्यान्वयन के संबंध में विभिन्न धार्मिक समूहों को विश्वास में लिया गया है, यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं

3- क्या जनजातीय समुदाय की संस्कृतियों, मान्यताओं और परंपराओं को अपनाना यूसीसी के लिए एक चुनौतीपूर्ण कारक है और इसके कार्यान्वयन में कठिनाइयां पैदा हो सकती हैं

4- यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है? और उन्हें यूसीसी के दायरे से बाहर रखने के लिए प्रस्तावित उपाय

5- क्या सरकार ने अन्य कानूनों पर यूसीसी के कार्यान्वयन के संभावित प्रभाव का विश्लेषण किया है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जाने का प्रस्ताव है, और

6- क्या यूसीसी एक एकल कोड होने की संभावना है

अब देखना यह है कि UCC (समान नागरिक संहिता) के सन्दर्भ में पूंछे गए सवालों के जवाब किस रूप में मिलते हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विधि आयोग ने “जनता से जबरदस्त प्रतिक्रिया को देखते हुए” हितधारकों को सुझाव और आपत्तियां प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय और दिया है। हालांकि पहले इसकी आखरी तारीख 14 जुलाई थी।
संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई को शुरू हुआ है और 11 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 17 बैठकें होने की उम्मीद है।