Tuesday, September 23

भारत 27 प्रतिशत कम कीमत पर खरीदेगा किलर ड्रोन, जानें इसकी खूबी और सौदे की लागत

भारत-अमरीका के बीच 31 ड्रोन के सौदे को लेकर कई विपक्षी पार्टियों ने सवाल खड़े किए और खरीद समझौते में हर तरह से पारदर्शिता बरती जाए इसकी मांग की थी। इस बीच, डिफेंस से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस डील को लेकर दावा किया है की भारत के लिए MQ-9B Preadator UV Drone की उन अन्य देशों की कीमत से 27 फीसदी कम कीमत में खरीद रहा है, जिन्होंने इसे अमेरिका से खरीदा है।अधिकारी ने बताया कि अमेरिका यही ड्रोन अन्य देशों को 1275 करोड़ में देता है वहीं भारत को 812 करोड़ में दे रहा है।

कांग्रेस का आरोप जानिए
कल कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और प्रीडेटर ड्रोन सौदे पर कई संदेह उठ रहे हैं। खेड़ा ने कहा- हम इस प्रीडेटर ड्रोन सौदे में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाए इसकी मांग करते हैं। भारत को इस डील के संबंधित कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब चाहिए।

सेना ने क्या जवाब दिया
इसका जवाब देते हुए सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अबतक मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर बातचीत शुरू नहीं हुई है, क्योंकि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन खरीदने के समझौते को मंजूरी दी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि कीमत का मुद्दा इसका हिस्सा नहीं है। हालांकि, अमेरिकी सरकार द्वारा बनाए गए ड्रोन की अनुमानित लागत 3,072 मिलियन यूएस डॉलर है।

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, एक ड्रोन की अनुमानित कीमत भारत के लिए लगभग 99 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। आने वाले समय में यह और भी कम हो सकता है। लेकिन संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को एक ड्रोन की लागत 161 मिलियन पड़ी थी। उन्होंने कहा कि भारत जिस एमक्यू-9बी ड्रोन को खरीदना चाहता है, वह UAE के बराबर है, लेकिन उसका कॉन्फ़िगरेशन UAE वाले ड्रोन की तुलना में बहुत अच्छा है।

प्रीडेटर ड्रोन की खूबी जानिए
इस मानवरहित ड्रोन की सबसे बड़ी खूबी यह है कि दुश्मन को इसके आने-जाने की भनक तक नहीं लगती, और यह ड्रोन अपना काम करके आ जाती है। इस ड्रोन की लंबाई 11 मीटर और इसके पंखों की लम्बाई 20 मीटर है। यह ड्रोन 35 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन 444 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। ये 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।

यह ड्रोन मिसाइल और बम सहित 1746 किलो के वजन को आसानी से अपने साथ लेकर उड़ने की कुब्बत रखता है। एक बार उड़ान भरने के बाद यह करीब 1800 किलोमीटर तक आसानी से सफ़र कर सकता है।

दुनिया भर में मौजूद अन्य ड्रोन की तुलना में यह ड्रोन अधिक दूरी तक उड़ान भरने और किसी भी एयरक्राफ्ट की तुलना में मिशन को सफल बनाने में सबसे ज्यादा सक्षम है। दिन हो या रात, स्काई गार्जियन और सी गार्जियन की मदद से यह किसी भी हालात में पूरी गति से साफ वीडियो प्राप्त कर सकता है।

ऐसे होता है ऑपरेट
एमक्यू-9 ड्रोन को भारतीय सेना के जवान कंट्रोल रूम में बैठकर ऑपरेट कर सकते हैं। जैसे- जैसे इसे कंट्रोल रूम से निर्देश दिया जाएगा, ये ठीक वैसे ही रियेक्ट करेगा। इसे ऑपरेट करना बेहद सरल है। बता दें कि यह ड्रोन अभी केवल इजराइल और अमेरिका के पास है।

ड्रोन की डिलीवरी पूरी होने के बाद भारत की सुरक्षा ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। मालूम हो यह ड्रोन इन-बिल्ट वाइड-एरिया मैरीटाइम रडार, ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स और एक सेल्फ कंटेन्ड एंटी सबमरीन वॉरफेयर यानी ASW किट से लैस है।

भारत को इसकी जरुरत
आपके मन में यह सवाल उठ रहा है की भारत को इस ड्रोन की क्या जरुरत है तो बता दें कि एमक्यू-9बी ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा जरूरतों की दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है। फ़िलहाल भारत के अपने पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इस लिजाज से ये ड्रोन मिलने से सेना की ताकत बढ़ेगी।

इससे चीन के साथ लगती सीमा जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है यहां पर भारत के निगरानी तंत्र में बड़ा बदलाव आएगा। इस ड्रोन के माध्यम से चीन की हरकतों पर बारीकी से निगरानी रखी जा सकेगी। भारतीय नौसेना इसके जरिये हिंद महासागर में हो रही गतिविधियों पर भी पैनी नजर रख सकेगी। पाकिस्तान पार से ड्रोन के जरिए भारत में भेजे जा रहे ड्रग्स और हथियारों पर भी इससे लगाम लगेगा। यह ड्रोन भारतीय सेना को संबल प्रदान करेगी।

तीनों सेनाओं के पास होंगे ड्रोन
ये सभी 31 ड्रोन एक ट्राई-सर्विस कमांड के तहत काम करेंगे। लेकिन समान रूप से वितरित नहीं किए जाएंगे। भविष्य के जरुरत के मुताबिक थियेटर कमांडर और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख के निर्देशानुसार तीनों ऑपरेशनल सेंटर मिशन स्पेसिफिक रोल्स के आधार पर इसकी भूमिका तय करेंगे।