बीते 55 दिन से जातीय हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की तमाम सख्तियों के बावजूद स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। खुद मणिपुर के अशांत इलाकों में तैनात भारतीय सेना और सरकार की मानें तो फिलहाल हालात में कोई सुधार होता हुआ नहीं दिख रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस हिंसा के कारण सरकारी ऑफिस में कोई भी स्टाफ काम पर नहीं लौटा है। अब ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ राज्य सरकार सख्त हो गई है और उसने काम नहीं तो पैसा नहीं (No Work-No Pay) का सर्कुलर जारी किया है।
बिना सूचना दिए ऑफिस से गायब
राज्य जीएडी सचिव माइकल एकॉम ने कल सोमवार को एक सर्कुलर जारी किया। जिसमें कहा गया है कि 12 जून को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक निर्णय लिया गया है। जो भी सरकारी कर्मचारी सामान्य प्रशासन विभाग से वेतन ले कर रहे हैं। उनकी कार्यालय में उपस्थिति अनिवार्य है।
सर्कुलर में साफ-साफ कहा गया है कि मणिपुर सचिवालय को सूचित किया जाता है कि जो कर्मचारी ऑफिसियल छुट्टी लिए बिना अपने काम पर नहीं आ रहे हैं, उन सभी पर ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ यानी (No Work-No Pay) का रूल लागू होगा। जानकरी के लिए बता दें कि मणिपुर गवर्नमेंट में करीब एक लाख कर्मचारी हैं।
जो मजबूर उनकी जानकारी मांगी गई
जारी सर्कुलर में सभी प्रशासनिक सचिवों से उन कर्मचारियों के बारे में भी जानकारी मांगी है, जो राज्य में बिगड़े मौजूदा हालातों की वजह से कार्यालय नहीं आ पा रहे हैं। इन वजहों से ऑफिस नहीं आने वाले कर्मचारियों के नाम, पद, ईआईएन, वर्तमान एड्रेस आदि जानकरी 28 जून तक कार्मिक विभाग को भेजने होंगे ताकि उचित और जरुरी कार्रवाई की जा सके। बता दें कि मणिपुर में मैतई और कूकी समुदाय के बीच जारी जातीय हिंसा की वजह से अभी तक 100 से ज्यादा लोगों की जॉब जा चुकी है।
पूरा मामला जानिए
बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 105 लोगों की जान जा चुकी है और 350 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है। लेकिन अब जिस तरह से सेना उग्रवादियों पर कार्रवाई कर रही है, उससे लगता है की इन्हें फ्री हैण्ड दे दिया गया है। अब उम्मीद है की मणिपुर की स्थिति सुधरे।