Sunday, September 28

मोदी की रैलियों पर दो भाजपा नेताओं के खुलासे से बढ़ सकती है पार्टी की मुसीबत

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नईदिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैलियों से जुड़ा दो खुलासा उन्हीं की पार्टी के दो नेताओं ने किया है। दोनों खुलासे अचंभित करने वाले हैं। एक में जहां कोलकाता रैली में मौजूद लोगों की संख्या को लेकर अपनी ही पार्टी के दावे की हवा निकाली गई है, वहीं दूसरे में मोदी की गोवा रैली में सांप निकलने की जानकारी दी गई है। कोलकाता में हुई बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली में उपस्थित भीड़ को लेकर किए गए पार्टी के दावे की भाजपा महासचिव ने ही हवा निकाल दी है। पार्टी महासचिव और पश्चिमबंगाल प्रभारी वरूण गांधी ने कहा है कि मोदी की कोलकाता रैली में करीब 50 हजार लोग ही उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि मोदी की रैली में मौजूद भीड़ को पार्टी ने चार गुना बढ़ाकर बताया था। हालांकि वरूण ने मोदी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के भाषण के बारे में पूछे जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की। वरूण ने बताया कि पार्टी ने मोदी की रैली में उपस्थित लोगों की संख्या करीब दो लाख बताई थी, जो गलत है। उन्होंने कहा कि इस रैली में मात्र 45 हजार से 50 हजार लोग ही मौजूद थे और रैली ठीक-ठाक ही रही। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने वरूण को पश्चिम बंगाल का विशेष प्रभार सौंप रखा है। जब उन्होंने रैली की सफलता को लेकर सिर्फ ओके कहा तो उनसे पूछा गया कि उनकी नजर में रैली शानदार क्यों नहीं रही? उन्होंने जवाब दिया आपको गलत आंकड़े मिले हैं। यह सच नहीं है कि दो लाख लोग पहुंचे थे। भीड़ महज 45-50 हजार लोगों की थी। रैली में आने वालों की संख्या को लेकर पश्चिम बंगाल भाजपा के नेता काफी उत्साहित थे। पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथागत राय ने तो यहां तक कह दिया था कि रैली में तीन लाख के करीब लोग मोदी को सुनने आए थे और 50 हजार लोगों को ब्रिगेड पेरैड ग्राउंड में आने से तृणमूल कार्यकर्ताओं ने रोक दिया था। इस चुनावी अभियान में पश्चिमबंगाल में मोदी ने पहली बार रैली की। उन्होंने भी भीड़ को काफी बढ़ा-चढ़ा कर बताया। मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि दिल्ली में थर्ड फ्रंट बनवा रहे नेता हेलिकॉप्टर लेकर यहां आएं और मैदान में मौजूद भीड़ देखें तो उन्हें हवा के रूख का अंदाज हो जाएगा। उन्होंने अपने भाषण के दौरान यह जताने की भी कोशिश की ब्रिगेड पेरैड ग्राउंड का कोई कोना खाली नहीं था और बाद में आने वाले लोगों को इशारा किया कि उन्हें अब पीछे ही खड़े रह कर सुनना होगा। इस ग्राउंड में तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम की कई बड़ी रैलियां हो चुकी हैं। और ये पार्टियां इन रैलियों में तीन से आठ लाख तक लोगों के शामिल होने का दावा करती रही हैं।
वरूण ने क्यों दिया होगा ऐसा बयान?
पार्टी नेताओं के आकलन को गलत बताने वाला वरूण का यह बयान असामान्य लगता है। ऐसे में सबसे पहला सवाल मन में यही आता है कि पार्टी लाइन से अलग जाकर उन्होंने ऐसा क्यों कहा होगा? इस सवाल के कुछ संभावित जवाब ये हो सकते हैं- पश्चिम बंगाल जैसे बेहद कम जनाधार वाले राज्य का प्रभार दिए जाने के चलते वरूण की नाराजगी। बेहद कम जनाधार के बावजूद रैली में दो लाख से ज्यादा लोगों के पहुंचने का दावा करना व्यावहारिकता से एकदम परे इस बार वरूण को पीलीभीत के बजाय सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाने की भी चर्चा है। संभव है वरूण इससे नाखुश हों और उन्होंने दबाव बनाने की राजनीति के तहत इस तरह का बयान दिया हो।
कोलकाता रैली में दिए गए मोदी और राजनाथ के भाषण पर भी सवाल उठे। रैली के तुरंत बाद यह सवाल चर्चा का विषय बन गया कि आखिर मोदी और राजनाथ सिंह ममता पर नरम क्यों पडे रहे? इस बारे में पूछे जाने पर वरूण ने कहा कि इस पर पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष राहुल सिंहा ही बेहतर बता पाएंगे। मोदी ने रैली में कहा था कि आपने यहां परिवर्तन के लिए ममता को चुना है, केंद्र में परिवर्तन के लिए भाजपा को चुनिए। इस पर राहुल सिन्हा का कहना है, तृणमूल और ममता बनर्जी पर हमला बोलने की अपेक्षा मीडिया ने भले ही कर रखी हो, लेकिन रैली में आए लोग इस अपेक्षा के साथ नहीं पहुंचे थे। केंद्र के नेताओं से राष्ट्रीय स्तर के भाषण की उम्मीद की जाती है। वह राष्ट्रीय स्तर के नेताओं पर फोकस करते हैं, न कि राज्य स्तर के नेताओं पर। ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर की नेता नहीं हैं।
हालांकि अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में मंत्री रहे तपन सिकदर मानते हैं कि मोदी और राजनाथ का ममता के प्रति रवैया नरम था। जबकि तथागत रॉय का कहना है कि ममता के प्रति केंद्रीय नेताओं के अपने विचार हैं।