Sunday, September 28

यहां परंपरा के नाम पर कौमार्य गंवाती हैं लड़कियां, मां-बाप भेजते हैं सेक्स कैंप में

मलावी। हर समाज में तरह-तरहकी परंपराएं और रूढिय़ां हैं। तरक्की के इस दौर में भी तकरीबन हर समाज अपनी परंपराओं का पालन भी करता है। दिक्कत की बात ये है कि परंपराओं के रूप में कई जगहों पर लोग कुरीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं। दक्षिण-पूर्व अफ्रीका के मलावी में भी यौन क्रिया प्रारंभ कैंप के जरिए ऐसी ही कुरीतियों को आगे बढ़ाया जा रहा है। मलावी में माता-पिता अपनी बेटी को सेक्स प्रारंभ कैंपों में भेजते हैं। दस साल की बेटी को यौन संबंधों की जानकारी के लिए उसके ही मां-बाप ने ही यौन क्रिया प्रारंभ कैंप में भेजा। ये जानते हुए कि उनकी दस साल की बेटी अपना कौमार्य भी गंवा सकती है। लड़की को उसके माता-पिता ने ये कहकर भेजा कि वो अपने दोस्तों के साथ कैंप में हिस्सा लेगी। लड़की जब कैंप में पहुंची तो वहां पर सेक्स करने की जानकारी दी जा रही थी। कैंप में कहा जा रहा था कि वो जल्द ही अपनी बाल्य अवस्था खो देंगे। दस वर्षीय ग्रेस को गोल्डन विलेज में अपने घर से कुछ ही दूर पर स्थित कैंप में भेजा गया। कैंप में ग्रेस अपनी दादी के साथ रही। कैंप में एक हफ्ते के दौरान उसे बड़ों की इज्जत करना और घर के उबाऊ काम करना सिखाया गया इसके साथ ही यौन संबंध बनाने की भी जानकारी दी गई। 2657_malawi-4उसने मलावी दौरे पर पहुंची यूनाइटेड नेशन फांउडेशन के साथ पत्रकारों की टीम को बताया कि एक महिला लड़कियों को यौन क्रियाओं के लिए बढ़ावा दे रही थी। वो लड़कियों को कुसासा फुंबी के बारे कह रही थी, जिसका मतलब अभ्यास के जरिए अपने अनुभवहीनता को खत्म करना होता है। यानी, महिला लड़कियों को यौन संबंध बनाने के लिए अभ्यास करने के लिए भी कह रही थी। ये भयावह अभ्यास कोई नई बात नहीं हे। ये लंबे समय से पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। परंपरा के मुताबिक लड़की को उसके परिवारवाले ऐसे कैंपों में इसलिए भेजते हैं ताकि ये पता चल जाए कि उन्हें अपने समुदाय में व्यस्क के तौर पर स्वीकार किया जा रहा है या नहीं।
कैंप में लड़कियों को इस बात की भी जानकारी दी गई कि कैसे अपने नृत्य और बाकी तरीकों से पुरूषों को खुश करना चाहिए। कैंप में उन्हें इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि इसमें गर्भधारण से लेकर तमाम तरह के संक्रमण का भी खतरा है। लड़कियों को खुद को सुरक्षित करने के तरीके भी नहीं बताए गए। गल्र्स इंपावरमेंट नेटवर्क के संचार सलाहकार ज्वॉयस का कहना है कि कई बार लड़कियों के पास कोई विकल्प नहीं होता है। खुद उनके माता-पिता ही उनके लिए वयस्क पुरूष ले आते हैं। यहां तक कि लड़की को ये भी नहीं पता होता कि उसे किसके साथ संबंध बनाने को कहा जा रहा है।
मलावी एड्स की परेशानी से जूझ रहा है। मलावी की ही तरह दक्षिण अफ्रीका के बहुत से ऐसे देश हैं जो एड्स की समस्या से जूझरहे हैं। इसका नतीजा ये हो रहा है कि यहां करीब पांच लाख बच्चे अनाथ हैं। कैंपों में लड़कियों को स्त्रीत्व के लिए तैयार करने में उन्हें किसी भी पुरूष के हवाले कर दिया जाता है। इस दौरान इस बात का भी ध्यान नहीं दिया जाता कि वो अभी वयस्क नहीं हुई हैं।
वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइसेशन की हेरिएट चांजा ने बताया कि अटलांटिक में ऐसे कई क्षेत्रीय समुदाय हैं, जहां किशोरावस्था का कोई मतलब नहीं होता। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो बच्चा है या वयस्क। हेरिएट ने बताया कि यौन संबंध भी इन देशों का एक अंधकार पक्ष है। देश की तीन-चौथाई आबादी गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी बिता रही है। हेरिएट का कहना है कि कुछ परिजन ही चाहते हैं कि उनकी बेटी गर्भवती हो जाए। ऐसा होने पर लड़की की शादी अक्सर जल्दी कर दी जाती है। पूरी दुनिया में बाल विवाह के मामले में मलावी का नाम 10वें स्थान पर आता है। डब्ल्यूएचओ के आकंडों के मुताबिक 14.2 मिलियन लड़कियों की शादी 15 साल से कम उम्र में कर दी जाती है। आकंड़ें बताते हैं कि ज्यादातर लड़कियों की मौत गर्भावस्था के दौरान होने वाली गड़बडियों की वजह से होती है।