Tuesday, October 21

पहली बार खुले मंच से ज्योतिरादित्य सिंधिया को बताया ओबीसी नेता

ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अन्य पिछड़ा वर्ग (obc) हैं। खुले मंच से पहली बार इस बात को बताया गया। दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया दो दिनों के लिए ग्वालियर दौरे पर आए थे। गौरतलब है कि हाल ही में सिंधिया ने राहुल गांधी की ओर से पीएम मोदी पर की गई टिप्पणी पर ओबीसी समाज का अपमान बताया था। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वर्ग के लोग रहते हैं। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस ओबीसी के मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती है।

ग्वालियर की धरती पर सिंधिया राजघराने के राजवंश ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहली बार खुले मंच से ओबीसी बताया गया। भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार पिछड़ा वर्ग के लिए काम कर रही है और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी ओबीसी से आते हैं।

दो साल पहले चला था अभियान

दो साल पहले, ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश में ओबीसी नेता के तौर पर प्रतिष्ठित करने के लिए विशेष अभियान भी चलाया गया था। कई पुस्तकों में ग्वालियर रियासत के महाराजा सिंधिया को मराठा क्षत्रिय बताया गया है, लेकिन इतिहास के पन्नों में कहीं भी सिंधिया राजवंश को क्षत्रिय नहीं बताया गया। कुछ साल पहले जब ज्योतिरादित्य कांग्रेस पार्टी में थे और यूपी चुनाव प्रचार कर रहे थे तब एक सवाल के जवाब में मीडिया को बताया गया था कि वे कुर्मी जाति के हैं और पिछड़ा वर्ग से आते हैं। हालांकि स्वतंत्रता से पहले सभी राजाओं का धर्म क्षत्रिय ही माना जाता था, फिर चाहे जाति कुछ भी क्यों न हो। इससे पहले भाजपा में यह भी कवायद शुरू हुई थी कि सिंधिया को मराठा चेहरा के रूप में स्थापित किया जाए और मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में उनका उपयोग किया जाए।

चुनाव से पहले गर्माया मुद्दा

मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी का मुद्दा गर्माया हुआ है। कमलनाथ सरकार ने ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। यह मुद्दा 2018 से ही सरगर्मी वाला बना हुआ है। अब सरकारी भर्तियों में भी ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने का दबाव बढ़ रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगाते आ रहे हैं। ओबीसी वर्ग इस मुद्दे से भाजपा और कांग्रेस से नाराज भी है। मध्यप्रदेश के ओबीसी सरकार बना सकते हैं और गिरा भी सकते हैं। इसलिए पार्टियां ओबीसी वर्ग को किसी भी तरह से साधने में जुटी है।