
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। शराब नीति घोटाले में जेल में बंद मनीष सिसोदिया पर अब करप्शन का एक और केस दर्ज किया गया है। केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। सिसोदिया पर दर्ज नया केस दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट (जासूसी कांड) मामले में की गई है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सिसोदिया पर नया केस दर्ज किया गया है। कुछ दिनों पहले गृह मंत्रालय ने इस मामले में सीबीआई को सिसोदिया पर केस दर्ज करने की अनुमति दी थी। CBI का दावा है कि दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट (FBU) आम आदमी पार्टी और सिसोदिया के निजी हितों में काम कर रही है। CBI ने यह भी कहा था कि सरकार ने किसी विभाग के खिलाफ कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की। यह विरोधी नेताओं की जासूसी का काम कर रही थी।
केजरीवाल बोले- सिसोदिया को लंबे समय तक कस्टडी में रखने की साजिश-
इधर सिसोदिया पर एक और केस दर्ज किए जाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा की प्रधानमंत्री की योजना है कि मनीष सिसोदिया पर कई फर्जी केस दर्ज कर उन्हें लंबे समय तक कस्टडी में रखा जाए। यह देश के दुखदाई है। इसके साथ-साथ केजरीवाल ने यह भी कहा कि सिसोसिया को कैद में रखने के लिए सारा दिन यहीं सब चलते रहता है।
2015 में चुनाव जीतने के बाद बनाई गई थी फीडबैक यूनिट-
मालूम हो कि 8 फरवरी को सीबीआई ने गृह मंत्रालय से मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी। जिसमें गृह मंत्रालय ने सीबीआई को केस दर्ज करने की मंजूरी दे दी है। उल्लेखनीय हो कि 2015 के विधानसभा चुनाव जीतने के कुछ महीनों बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने कथित तौर पर सतर्कता विभाग को मजबूत करने के लिए एक “फीडबैक यूनिट” (FBU) बनाई थी। आरोप है कि यह यूनिट राजनीतिक खुफिया जानकारी जमा कर रही थी। खास कर आप इस यूनिट के जरिए राजनीतिक विरोधियों की जासूसी करा रही थी।
एलजी ने गृह मंत्रालय को भेजा था सीबीआई का प्रस्ताव-
दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट के खिलाफ सीबीआई को एक शिकायत दी गई और शुरुआती जांच में सीबीआई ने पाया कि एफबीयू ने राजनीतिक खुफिया जानकारी भी इकट्ठा की थी। सीबीआई ने 12 जनवरी, 2023 को सतर्कता विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी थी।
सीबीआई की रिपोर्ट में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के लिए एलजी की मंजूरी मांगी गई। इसके बाद, सीबीआई के अनुरोध को गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया।
फीडबैक यूनिट ने 40 फीसदी राजनीतिक खुफिया जानकारी जमा की-
जांच में सीबीआई ने बताया कि फीडबैक यूनिट द्वारा तैयार की गई 60% रिपोर्ट्स सतर्कता विभाग से संबंधित मामलों से संबंधित थीं, जबकि 40% “राजनीतिक खुफिया जानकारी” के बारे में थीं। एजेंसी ने दावा किया कि इकाई (FBU) दिल्ली सरकार के हित में नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी और सिसोदिया के निजी हित में काम कर रही है। जिसके बाद मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की गई थी।
